रेंगा प्रतियोगिता : सुख व दुःख जीवन के दो रूप

रेंगा प्रतियोगिता
कविता बहार

रेंगा प्रतियोगिता

दिनांक : 13 मई 2017

सुख व दुःख
जीवन के दो रूप
छाँह व धूप □ प्रदीप कुमार दाश दीपक
दोनों रहते साथ
कर्मों के अनुरूप □ मधु सिंघी
सच्चे हों कर्म
सब तो तेरे हाथ
फिर क्यों चुप □ मनीलाल पटेल
प्रकृति के नियम
दुःख के बाद सुख □ गीता पुरोहित
हवा ने कहा
पतझड़ का दुख
सहते रहो □ देवेन्द्रनारायण दास
इसी ताने बाने में
बीते जीवन खूब □ शुचिता राठी
जीवन यात्रा
रुकती नहीं कभी
है अविराम □ डाॅ. अखिलेश शर्मा
संग संग चलते
नदी के दो किनारे □ चंचला इंचुलकर सोनी
दुख अंधेरा
सुख हो सतरंगी
प्रकाशमय □ शेख़ शहज़ाद उस्मानी
जीवन रूपी सिक्का
दोनों पहलू खूब □ अंजुलिका चावला
दुःख तो सुख
परम अनुभूति
उठाओ भीति □ गंगा पाण्डेय “भावुक”
जीवन पथ पर
साथी ये सुख दुःख । ■ अलका त्रिपाठी “विजय”

संचालक : तांका की महक

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