
हाइकु अर्द्धशतक
१/
बसंत नाचे
गाये गीत फाग के
प्रेम राग के।
२/
बासंती चिट्ठी
संवदिया बन के
आया बयार।
३/ बासंती हवा
रंग बिखर गया।
निखर गया।
४/
फलक तले
खिले सरसों फुल
बसंत पले।
५/
पी का दीदार
नशा ज्यों हो शराब
दिल गुलाब ।
६/ नदिया तीर
खड़ा है जो गंभीर
शिव मंदिर।
७/ मस्जिद पर
अल्लाहु अकबर
रब का घर ।
८/ हर जगह
वाहेगुरू फतह
जै गुरूद्वारा।
९/ गली चौबारा
मंदिर है मस्जिद
है गुरूद्वारा।
१०/ पिय दर्शन
हिय घंटी वादन
जिय प्रसन्न।
११/
कहाँ है रब?
सुनता क्या अजान?
मैं अनजान।
१२/
वात्सल्य मूर्ति
बनी जग विद्रोही
बेटा हेतु माँ।।
१३/
पिता की डाँट
कड़ुवी गोली सम
प्रेम का ढंग।
१४/ भाई बहन
चाहे मां पिता पर
एकाधिकार।
१५/
नारी की हठ
जैसे लक्ष्मण रेखा
दृढ़ अकाट्य।
१६/ कठिन श्रम
पुरूष का श्रृंगार
काहे को शर्म।
१७/ छोड़ती घर
बेटी बाबुल घर
बसाने घर।
१८/ पति है सखा
जीवन करे साझा
हर मोड़ पे।
१९/ भेजा ना पत्र
जो नैन भाखा जाना
वो मेरा मित्र।
२०/ जीने की कला
मैंने गले में डाला
प्यार की माला।
२१/ सच्चा सहारा
ज्यों नाव मझदार
वो परिवार।
२२/
पंछी है मन
चाहे खुली गगन
शांत निर्जन।
२३/ पंछी आशियाँ
झुलसने लगे हैं
ये बर्बादियाँ।
२४/ स्वप्न गठरी
बांध खड़ा कतार
देश बेकार।
२५/ गगन खोज
उड़ाने को सपने
तू हर रोज।
२६/ रूप आकृति
विविध रंग प्रकृति
फैली विस्तृत।
२७/ मन हर्षाये
सौरभ बिखराये।
शाख में फूल।
२८/ तरू नाचता,
हावभाव कमाल
हवा दे ताल।
२९/ दर्पण पानी
सजती मनमानी
कमल रानी।
३०/ सरिता धार ।
पर्वत शिला मार
चली हुंकार।
३१/ दीन के द्वार
खुशी आये बनके
ईद की चांद।
३२/
आग का गोला
सृष्टि का है इंजन
देता जीवन ।
३३/
चांदनी रात
नदी खिलखिलाके
दिखाये दांत।
३४/ सृष्टि के स्तम्भ
निहारिका बनाते
तारे पालते।
३५/ कल का युग
घिरा विज्ञान साया
ईश्वर माया ।
३६/
अहं का भाव
दौड़ाता दिन रात
बुझे ना तृषा ।
३७/
ऐसा हो कर्म
लोभ तृषा से दूर
मोक्ष हो धर्म।
३८/ अंत अध्याय
जीव बंधनमुक्त
मोक्ष पर्याय ।।
३९/
करते युद्ध
लपेट ध्वज कफन
वीर जवान।
४०/
होकर जुदा
मिटा लो सब भ्रांति
सहज शांति।
४१/ महिमा
वही गाये जो जाने
भूख की पीड़ा।
४२/ रक्त रंजित
हिमालय की भूमि
वीर लाल से।
४३/ देखे विनाश,
विकास आस लिए
मौन है धरा।
४४/ चमक उठी~
नैनों में बन मोती
प्रेम की ज्योति।
४५/ मृत्युशय्या में~
चलचित्र उभरे
स्मृति रेखाएं।
४६/ क्षितिज पर~
भू अंबर मिलन।
हो आलिंगन।
४७/ सब अकेला~
सिखाती अनायास
वियोग बेला।
४८/ छाये बसंत
खिलता पुष्पकली
झूमे भ्रमर।
४९/ बंधी है पुष्प
काटें सलाखों बीच
विकल चुप।
५०/ मधुबन में~
पुष्प है गोपबाला
कृष्ण भ्रमर।