अल्हड़ बचपन -मनीभाई नवरत्न (तांका विधा)

 

अल्हड़ बचपन

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वो फटी पेंट
नाक में लगी सर्द
आते हैं याद
टूटे कुर्ते बटन
अल्हड़ बचपन।।
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वो बदमाशी
बेवजह झगड़ा
आते हैं याद
कट्टी का प्रहसन
अल्हड़ बचपन ।
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जल्दी से खाना
देर तक घूमना
आते हैं याद
खेल में अनबन।
अल्हड़ बचपन ।
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खड़िया चाक
कलम की दवात
आते हैं याद
वो जनगणमन।
अल्हड़ बचपन ।

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दोस्तों की टोली

वो तुतलाती बोली

आते हैं याद
पहाड़ा का रटन
अल्हड़ बचपन।

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बेर का पेड़

अड्डा तालाब मेड़
आते हैं याद
गांव में मधुवन
अल्हड़ बचपन।

🖋मनीभाई नवरत्न, छत्तीसगढ़

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