गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।
गणेश वंदना
प्रथम वंदना आपकी ,गणनायक भगवान।
शील बुद्धि का ज्ञान दो,मिलें जगत गुणगान।।
बुद्धि प्रदाता आप प्रभु, है गणेश जग नाम।
मात पिता के साथ ही, होता है सुख धाम।।
प्रथम निमंत्रण आपको, गणनायक भगवान।
काम सिद्ध कर दो सभी, ऐसा दो वरदान।।
संकटमोचक आप ही , जग के पालनहार।
गणपति वंदन आपको , आप जगत उद्धार।।
श्री गणेश की वंदना, पाऊँ बुद्धि विवेक।
ध्यान करूँ मैं आपका, सदा चलूँ पथ नेक।।
सदा भाव हो नेह का, शंकर तनय गणेश।
पीर हरो सब जीव की, और हरो सब क्लेश।।
कन्हैया लाल श्रीवास ‘आस’