गणपति अराधना- कवयित्री क्रान्ति

  • Post category:Uncategorized
  • Post author:
  • Post last modified:August 25, 2020
  • Reading time:1 mins read

गणपति अराधना

विघ्नहारी मंगलकारी
गणपति लीला अनेक-2

सज रहे हैं मंडप प्रभु
बज रहे हैं देखो ताल
झूम रहे हैं भक्त तुम्हारे
प्रभु कर उनका उद्धार
विघ्नहारी…………….
गणपति…………..2

Ganeshji
गणेशजी

हर घर में तेरी छवि प्रभु
तू ही सबका तारण हार
दुखियों की झोली भर दे
प्रभु कर इतना उपकार
विघ्नहारी……………..
गणपति……………..2

जल रहे हैं दीपक प्रभु
मिट रहा है अंधकार
तेरे ही गुणगान से आज
गूंज रहा देखो संसार
विघ्नहारी…………
गणपति…………….2

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

This Post Has 0 Comments

  1. Anonymous

    Very nice

Leave a Reply