उत्सव की घड़ियाँ-मधुसिंघी

गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

गणेश
गणपति

उत्सव की घड़ियाँ

घड़ियाँ सुख की आज आई ,गणपति लाये उत्सव ।
मन से मन को जोड़ने का, करना है हमको जतन।
घड़ियाँ सुख की आज आई।

सम्बंधित रचनाएँ

1)विपदा कोई भी आ जाये,विघ्नहर्ता कर देते अंत।
सच्चे दिल से नाम ले लो ,कट जायेंगे पाप अनंत ।
घड़ियाँ सुख की आज आई।

2)अभिलाषा कोई भी मन की,पूर्ण करते ये तुरंत।
कृपादृष्टि हम पर होगी 2, तिर जायेंगे भव अनंत।
घड़ियाँ सुख की आज आई।

3)श्रद्धा तन मन से हमारी, हो जाये जीवन बसंत
भक्ति सद्भावों से करते 2,खुशियाँ पायी है अनंत।

घड़ियाँ सुख की आज आई,गणपति लाये उत्सव।
मन से मन को जोड़ने का, करना है हमको जतन।
घड़ियाँ सुख की आज आई।

मधुसिंघी

You might also like