दर्द पर दोहे
दर्द किसी को दे नही ,हे जग के करतार।
दर्द देखा जाय नही ,किससे करू पुकार ।।1
दीन दुखी सब खुश हो, पीड़ा किसे न आय।
सब जनता खुश हाल हो, विपदा नही सताय।।2
होती मन मे वेदना,दर्द दुखी कर जाय ।
विपदा आफत टाल कर,सब की करे सहाय ।।3
दर्द किसी को दे नही,लौटे से पछताय ।
जैसा को तैसा मिले, दर्द दगा दे जाय।।4
दर्द किसी का मेट कर,मन प्रसन्न हो जाय ।
नेक काम का नेक फल,फिर से वापस आय।।5
मदन सिंह शेखावत ढोढसर