
हिम्मत रख मल्लाह तूफानों के बीच में
बनकर नन्हा दीप , तूफानों से लड़ रहा ।
निश्चित जीत महीप , कृपा दृष्टि प्रभु आपकी ।।
सफर नहीं आसान , साथी बढते ही चलो ।
बहुत बड़ा तूफान , लहरों के कारण कई ।।
तूफां का है शोर , अंदर हलचल है मची।
डरावनी द्युति घोर , हुआ अँधेरा अब डगर ।।
मत होना परिशान , आयेंगे तूफान भी ।
हो सतर्क नादान , कर तैयारी तू अभी ।।
लोग सभी अंजान , लगता सबकुछ ठीक है ।
कैसा ये तूफान , मुश्किल सम्हलना यहाँ ।।
शांत हुआ तूफान , बहुत बड़ा नुकसान कर ।
बढ़ आगे इंसान , रुकना तेरी मौत है ।।
तुफानों के वक़्त , हुई परख सम्बन्ध की ।
मन गति अति अनुरक्त , केवल लगता स्वार्थ सुख ।।
अंतस में तूफान , सारी खुशियाँ खो गई ।
नाविक है हैरान ,ये सब कैसे क्यों हुआ ।।
तूफानों के बाद , ढूँढ़ रहे अस्तित्व को ।
करे किसे संवाद , नैन दुखारे मौन है ।।
हिम्मत रख मल्लाह , तूफानों के बीच में ।
जीवन भर उत्साह , मणि मंजूषा माधुरी ।।
—– माधुरी डड़सेना ” मुदिता “
भखारा