डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
“शिक्षक दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि कृतज्ञ राष्ट्र अपने शिक्षक राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के प्रति अपनी असीम श्रद्धा अर्पित कर सके और इसी के साथ अपने समर्थ शिक्षक कुल के प्रति समाज अपना स्नेहिल सम्मान और छात्र कुल अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके।
शिक्षक जग विख्यात है करे राष्ट्र निर्माण
शिक्षक सदगुण से भरे , रहें ज्ञान संपन्न ।
ऊँचे ही आदर्श हो , विद्या नहीं विपन्न ।।
विद्या नहीं विपन्न , तभी तो राष्ट्र जगेगा ।
देश प्रेम सद्भाव , शिष्य के मार्ग रचेगा ।।
कह ननकी कवि तुच्छ , बाल मन के ये वीक्षक ।
आदरेय सत्कार , नमन है सारे शिक्षक ।।
शिक्षक शिक्षा हीन जब , पढ़े लिखे क्या शिष्य ।
मात्र सतत् खिलवाड़ हो , डूबे गर्त भविष्य ।।
डूबे गर्त भविष्य , खोजने पर ही पाते ।
सरकारी स्कूल , बंद कर खोले जाते ।।
कह ननकी कवि तुच्छ , बने जब ये हैं ईक्षक ।
आयेगा कब ज्ञान , दिवस फिर आया शिक्षक ।।
शिक्षक जग विख्यात है , करे राष्ट्र निर्माण ।
दिशा दशा को मोड़ कर , किये विश्व कल्याण ।।
किये विश्व कल्याण , शास्त्र गाते हैं महिमा ।
घोर अंँधेरी रात , ज्ञान की रचते गरिमा ।।
कह ननकी कवि तुच्छ , बने मन के पर्वेक्षक ।
गढ़े सुगम सन्मार्ग , हुए सम्मानित शिक्षक ।।
—- रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह