मैं हिंदुस्तान हूं – शशि मित्तल “अमर”
लहर-लहर लहराए तिरंगा
बीच अशोक चक्र महान हूं
हां मैं हिंदुस्तान हूं………..
तीन रंगों से सजा तिरंगा
श्वेत,हरा,केसरिया की शान हूं
हां मैं हिंदुस्तान हूं…………..
भगत, सुभाष,आजाद की धरती
वीरांगना रानी झांसी की पहचान हूं
हां मैं हिंदुस्तान हूं…………….
हिंदू -मुस्लिम,सिख- ईसाई
आपास में हैं सब भाई-भाई
अलौकिक भाईचारे की जान हूं
हां मैं हिंदुस्तान हूं…………..
हिमालय खड़ा पहरेदार सा
गंगा,यमुना,सरस्वती का धाम हूं
हां मैं हिंदुस्तान हूं…………….
12 ज्योतिर्लिंगों से पूजित धरा
कंकर-कंकर मेंभी शंकर अवतार हूं
हां मैं हिंदुस्तान हूं…………….
लिपट तिरंगे में आ जाते शहीद
फिक्र नहीं निज प्राणों की करते
मैं वो बलिदान हूं।
हां मैं हिंदुस्तान हूं………….
यहां कल-कल,छल-छल बहती नदियां
जहां पूजे जाते पेड़ और गौ माता
मैं वो देश महान हूं!
हां मैं हिंदुस्तान हूं………….
शशि मित्तल “अमर”
मौलिक एवं स्वरचित