रामराज्य पर कविता / बाँके बिहारी बरबीगहीया
सप्तपुरी में प्रथम अयोध्या
जहाँ रघुवर अवतार लिए।
हनुमत, केवट, गुह , शबरी
सुग्रीव को हरि जी तार दिए।
गौतम की भार्या अहिल्या को
चरण लगा उद्धार किए ।
मारीच, खर- दूषण , बाली
और रावन का संहार किए ।
आज अवधपुरी में रघुवर
राजा बन कर फिर से आयो।
अवधपुरी में बाजी बधाई
रामराज्य फिर से आयो ।।
इन्द्र की अमरावती से सुंदर
त्रिभुवन विदित राघव का गाँव ।
सरयू तट पर केवट कहता
बेठो पहुना जी मेरो नाव ।
तेरी करूणा के सागर में प्रभु
पाते भक्त अलौकिक छाँव ।
चरण पखार कर पीना है हरि
दास को दो निज पावन पाँव ।
संग सिया को साथ लिए
करूणा निधान घर को आयो।
अवधपुरी में बाजी बधाई
रामराज्य फिर से आयो ।।
बारह योजन में फैला है
राघव जी का यह पावन धाम।
राम- राम जहाँ रटते पंछी
दिन दोपहर हो या हो शाम।
रघुनाथ मेरे चितचोर मनोहर
पुलकित मन लोचन अभिराम।
जीते स्वर्ग पाते वे लोग हैं
जो करते सरयू स्नान ।
हरि को देख अवध के वासी
मन हीं मन अति हरसायो ।
अवधपुरी में बाजी बधाई
रामराज्य फिर से आयो ।।
कण -कण में बसते यहाँ राघव
राम की पैड़ी कर रही श्रृंगार ।
सफल हुआ हर भक्त का जीवन
प्रभु के चरण पड़े निज द्वार ।
माताएँ सोहर हैं गाती
सखियाँ आरती रहीं उतार ।
अवध नरेश के राजतीलक में
देखो उमड़ा सारा संसार ।
सत्य, धर्म, तप,त्याग लिए
प्रभु अवध में धर्मध्वजा लायो।
अवधपुरी में बाजी बधाई
रामराज्य फिर से आयो ।।
बाँके बिहारी बरबीगहीया