महात्मा गांधी पुण्यतिथि पर कविता
• बाबूलाल शर्मा ‘प्रेम’
स्वतन्त्रता के अमर पुजारी, सत्य-अहिंसा के व्रतधारी !
बापू, तुम्हें प्रणाम बापू, तुम्हें प्रणाम !
देश-प्रेम का पाठ पढ़ाने, दुखियों का दुःख-दर्द मिटाने ।
प्राण देश के लिए दे दिए और गए सुर-धाम !
बापू, तुम्हें प्रणाम बापू, तुम्हें प्रणाम !
लड़ते रहे न्याय के हित में, अपना सुख छोड़ा परहित में।
श्रम सेवा का दीप तुम्हारा, जलें सदा अविराम !
बापू, तुम्हें प्रणाम — बापू, तुम्हें प्रणाम !
पद-चिह्नों पर चलें तुम्हारे, हमें शक्ति दो, बापू प्यारे !
कठिनाई से लड़ना सीखें, जाने शीत न घाम !
बापू, तुम्हें प्रणाम बापू, तुम्हें प्रणाम !
जय बोल
• मैथिलीशरण गुप्त
खुली है कूटनीति की पोल,
महात्मा गांधी की जय बोल ।
नया पन्ना पलटे इतिहास,
हुआ है नूतन वीर्य विकास,
विश्व, तू ले सुख से नि:श्वास,
तुझे हम देते हैं विश्वास ।
आत्म-बल धारण कर अनमोल,
महात्मा गांधी की जय बोल ।
देख कर वैर, विरोध, विनाश,
पड़ गया है नीला आकाश,
किन्तु अब पशु-बल हुआ हताश,
कटेगा पराधीनता – पाश ।
उठा ईश्वर का आसन डोल,
महात्मा गांधी की जय बोल ।