अच्छे गुरु की पहचान हो -डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले।

डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

अच्छे गुरु की पहचान हो

               (1)

बच्चों को देते ज्ञान ,

गुरु होते हैं बड़े महान  ।

जीवन जितना सजता, 

व्यक्तित्व उतना निखरता ।

            (2)

रोज हम स्कूल जाते ,

गुरु हमको पाठ पढ़ाते।

प्रेम से हमे सिखाते ,

ज्ञान अमिट लिखवाते।

          (3)

जाति धर्म को तोड़ो,

शिक्षा से नाता जोड़ो।

सफलता की बीज बो लो,

गुरुजी के चरण धो लो ।

           (4)

आदर्शों की मिसाल हो ,

बच्चों के लिए बेमिसाल हो।

नित नए प्रेरक आयाम हो,

चमकती तलवार की म्यान हो।

           (5)

समस्याओं का निदान हो ,

अथाह ज्ञान की भंडार हो।

मानव जगत की शान हो,

अच्छे गुरु की पहचान हो।

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रचनाकार – डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

मिडिल स्कूल पुरुषोत्तमपुर,बसना

जिला महासमुंद (छ.ग.)

मो. 8120587822

कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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