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गुरू ने ज्ञान का दीप जलाया -सुन्दर लाल डडसेना मधुर

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले।

डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

गुरू ने ज्ञान का दीप जलाया

जिंदगी की अंधेरी राहों में।
गुरू ने ज्ञान का दीप जलाया है।
जब भी हम हार कर निराश हुए हैं।
गुरू ने हर मुश्किल में हमें जीना सीखाया है।

शिक्षक सही गलत का कराते पहचान हैं।
गुरू गुरूत्व और हम सबका सम्मान हैं।
शिक्षक मिटाते तम रूपी अज्ञान हैं।
शिक्षक माता पिता ईश्वर से भी महान है।
शिक्षक ने हमें शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया है।
जिंदगी की अंधेरी…………….

शिक्षक ज्ञान का अलौकिक प्रकाश पुंज है।
शिक्षक संस्कारवान प्रेरणा कुंज है।
शिक्षक शिक्षा का कराते अमृतपान हैं।
शिक्षक धर्मरक्षक सरस्वती संतान हैं।
शिक्षक ने संगत के रंगत से बदलना सीखाया है।
जिंदगी की अंधेरी…………

सुन्दर लाल डडसेना “मधुर”
ग्राम-बाराडोली (बालसमुंद)
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद
मोब.-8103535652
       9644035652
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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