Author: कविता बहार

  • जंगल पर कविता: प्रकृति का जादू और अद्भुत अनुभव (2024)

    जंगल, प्रकृति का वह अनोखा हिस्सा है, जो न केवल हमारे पर्यावरण का संतुलन बनाए रखता है, बल्कि हमारी आत्मा को भी शांति प्रदान करता है। जंगल की हरियाली, विविध वन्य जीव, और वहाँ की शुद्ध वायु – यह सब मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाते हैं, जो न केवल सुंदरता से परिपूर्ण है बल्कि जीवन को सही मायनों में समझने का अनुभव कराता है। इस लेख में, हम जंगल पर कविता और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, साथ ही आपके साथ एक सुंदर कविता भी साझा करेंगे।

    जंगल पर कविता: प्रकृति का जादू और अद्भुत अनुभव (2024)

    जंगल पर कविता का महत्व
    जंगल पर कविता लिखने का मतलब है उस खूबसूरती और अनमोलता का जिक्र करना जो जंगल हमें देता है। भारतीय साहित्य में जंगल पर कई कविताएँ लिखी गई हैं जो पर्यावरण के महत्व और जंगल की संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देती हैं।

    जंगल पर कविता: एक प्रेरणादायक काव्य

    “हरियाली का प्यारा संसार,
    वह जंगल है प्रकृति का उपहार।
    पेड़ों के संग पशु पक्षी का मेला,
    हर दिन यह देता एक नया खेला।”

    इस कविता की पंक्तियाँ यह दर्शाती हैं कि जंगल हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा है। जंगल की हरियाली न केवल खूबसूरती में वृद्धि करती है, बल्कि यह हमारे जीवन को भी खुशहाल बनाती है।

    जंगल और हमारे जीवन का संबंध

    जंगल और मनुष्य का संबंध सदियों पुराना है। यह हमारे लिए ऑक्सीजन का स्रोत है, यह हमें शुद्ध जल और प्राकृतिक संसाधन प्रदान करता है। जंगल का संरक्षण और इसे समझना आज के दौर में और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

    जंगल पर कविता में प्रमुख बिंदु

    प्रकृति का महत्व

    जंगल में पेड़ों, पौधों, और जानवरों का एक सामंजस्य होता है। उनकी उपस्थिति हमें यह सिखाती है कि जीवन में विविधता का महत्व कितना है। जैसे-जैसे जंगल का क्षेत्र घटता जा रहा है, वैसे-वैसे हमें इनकी महत्ता का अहसास हो रहा है।

    वन्यजीवन का समर्थन

    जंगल वन्यजीवन का घर है। यहाँ शेर, चीते, हाथी, हिरण, और सैकड़ों प्रकार के पक्षी रहते हैं। जंगल में इन जीवों का संरक्षण करना भी हमारा कर्तव्य है। हमारी एक छोटी सी कोशिश भी जंगल के लिए एक बड़ा योगदान हो सकती है।

    जंगल का महत्व बच्चों के लिए

    बच्चों को जंगल के महत्व को समझाना भी आवश्यक है। जंगल पर कविता बच्चों को न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाती है बल्कि उनमें प्रकृति के प्रति स्नेह भी उत्पन्न करती है। जंगल पर कविता में छोटे बच्चों के लिए सरल शब्दों में यह भावना व्यक्त की जाती है, ताकि वे प्रकृति की अनमोलता को समझ सकें।

    जंगल पर कविता: काव्य का जादू

    “हरे-भरे जंगल की गोद में,
    सभी जीव रहते खुशी की ओध में।
    पेड़ों का झुरमुट, हवा का संगीत,
    हर पल यहाँ महसूस होता एक अद्भुत प्रीत।”

    यह काव्य जंगल के उस सौंदर्य का वर्णन करता है, जो शब्दों से परे है। यह कविता हमें जंगल के हर एक पहलू का अनुभव कराती है और हमें प्रकृति के करीब लाती है।

    जंगल के लिए संरक्षण की जरूरत

    आज जंगल पर बढ़ते मानवीय गतिविधियों का प्रभाव बहुत ही खतरनाक है। कई जंगली क्षेत्रों में जंगल कटाई, शहरीकरण, और औद्योगिकीकरण के कारण वन्य जीवन खतरे में पड़ गया है। जंगल पर कविता हमें जागरूक करती है कि हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

    जंगल पर कविता का उपयोग साहित्य में

    जंगल पर कई कवियों और साहित्यकारों ने लिखा है। कुछ प्रमुख रचनाकारों में प्रेमचंद और सुभद्रा कुमारी चौहान के नाम आते हैं। उनकी कविताएँ जंगल के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदलने का काम करती हैं। इस लेख में हम उन्हीं के विचारों पर आधारित एक छोटा सा संदर्भ दे रहे हैं।

    जंगल पर कविता का हमारे समाज पर प्रभाव

    जंगल पर लिखी गई कविताएँ न केवल साहित्य में अमूल्य हैं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं। यह हमें जंगल की सुरक्षा और पर्यावरण को बचाने की प्रेरणा देती है। ऐसे ही पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर ध्यान दिलाने के लिए अनेक कविताएँ लिखी गई हैं।

    पढ़ें: पर्यावरण संरक्षण पर हिंदी कविताएँ

    जंगल पर कविता के अलावा आप हमारी वेबसाइट पर अन्य रोचक कविताएँ भी पढ़ सकते हैं जो पर्यावरण और प्रकृति के महत्व को समझाने का काम करती हैं। हमारे इन आर्टिकल्स में भी आपको बेहतरीन कविताओं का संग्रह मिलेगा।

    निष्कर्ष: जंगल की अद्भुतता को संजोए रखें
    जंगल पर कविता केवल कुछ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि यह एक आवाज है जो हमें जंगल और पर्यावरण की सुरक्षा का आह्वान करती है। हमें चाहिए कि हम अपने जीवन में जंगल के महत्व को समझें और उनकी रक्षा के लिए योगदान दें।

    इस तरह की कविताएँ हमें याद दिलाती हैं कि यह धरती केवल हमारी नहीं है, बल्कि यह सभी जीवों का घर है। इसलिए जंगल की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है।

  • Haathi par kavita : 5 बेहतरीन हाथी पर कविताएँ

    “हाथी पर कविता” पढ़ें और जानें इस अद्भुत प्राणी की महानता को। हाथी की कविताओं से प्रेरणा और ज्ञान पाएं।

    हाथी, हमारे ग्रह का एक अनोखा और शक्तिशाली प्राणी है जो अपनी विशालता, समझदारी, और सामाजिकता के लिए प्रसिद्ध है। चाहे जंगल का राजा हो या किसी धार्मिक स्थल का प्रतीक, हाथी हमेशा से मानव सभ्यता में एक खास महत्व रखता आया है। आइए इस ब्लॉग पोस्ट में हम हाथियों की विशेषताओं, उनके महत्व और हमारे पर्यावरण में उनकी भूमिका पर नजर डालते हैं।

    5 बेहतरीन हाथी पर कविताएँ

    1) हाथी की सूंड

    “हाथी की सूंड में है बल,
    धरती को दे सके हलचल।
    बड़े प्यार से चलता हाथी,
    उसकी है गहरी आँखें और मस्ती।”

    2) जंगल का राजा हाथी

    “जंगल में चलता धीरे-धीरे,
    हाथी सबको करे प्रभावित फीके।
    पत्तों को खाए बड़े मजे से,
    सूंड से पानी पीता हंसी से।”

    3) हाथी का स्वाभिमान

    “हाथी चले तो धरती हिले,
    संग चलता उसका प्रेम भी मिले।
    शांत स्वभाव लेकिन बहुत समझदार,
    हाथी है प्रकृति का सच्चा उपहार।”

    हाथी आता झूम के

    हाथी आता झूम के,
    धरती मिट्टी चूम के,
    कान हिलाता पंखे जैसा,
    देखो मोटा ऊँचा कैसा ?
    सूँड हिलाता आता है,
    गन्ना पत्ती खाता है।
    हाथी के दो लंबे दाँत,
    सूँड़ बनी है इसके साथ।
    इससे ही यह लेता रोटी,
    आँखें इसकी छोटी-छोटी।

    हाथी पर कविता

    हाथी राजा, बड़े निराले,
    जंगल में रहते भोले-भाले।
    मोटे पैरों से चलते हैं,
    धरती को भी हिला देते हैं।

    लंबी सूंड उनकी खास बात,
    हर मुश्किल में आए साथ।
    पेड़ से पत्ते, जल की धार,
    सूंड़ में रखते अपने अधिकार।

    बड़े कान उनके पंख जैसे,
    हर आवाज सुनते वैसे।
    बच्चों संग करते हैं खेल,
    मस्ती में झूमते झील के मेल।

    हाथी बड़ा समझदार प्राणी,
    सभी का करता सम्मान निशानी।
    शक्ति और स्नेह का है प्रतीक,
    हाथी सदा बना रहे अद्वितीय।

    Haathi-par-kavita

    हाथी की विशेषताएं

    1. आकार और शक्ति
      हाथी दुनिया के सबसे बड़े स्थलीय स्तनधारी जीव हैं। उनकी लंबाई लगभग 10-12 फीट और वजन 5-6 टन तक हो सकता है। इतनी विशाल काया होने के बावजूद वे काफी शांत और समझदार होते हैं। उनके बड़े-बड़े कान, मोटे पैर, और लंबी सूंड उनकी खास पहचान है।
    2. सूंड़ का महत्व
      हाथी की सूंड एक अनोखा अंग है जो न केवल उसकी पहचान है, बल्कि उसे जीवित रहने में भी मदद करता है। इस सूंड का उपयोग वे पेड़ की पत्तियों को तोड़ने, पानी पीने, और यहां तक कि खुद को ठंडा रखने के लिए करते हैं। सूंड की अद्वितीय संरचना उन्हें भोजन और जल के लिए विभिन्न कार्यों में सक्षम बनाती है।
    3. संवेदनशील और समझदार
      हाथी अपने परिवार और झुंड के प्रति बेहद भावुक और संवेदनशील होते हैं। वे दुखी होने पर रो सकते हैं और अपने साथियों की मौत पर शोक भी मनाते हैं। हाथी की यह संवेदनशीलता उन्हें एक विशेष स्थान देती है।

    हाथी का पर्यावरण में योगदान

    हाथी को “प्रकृति के बगीचे के माली” के रूप में भी जाना जाता है। वे जंगल में चलने के दौरान नए पौधों को उगाने में मदद करते हैं। उनकी गतिविधियों से पेड़-पौधों के बीज एक जगह से दूसरी जगह फैल जाते हैं, जिससे पर्यावरण में हरियाली बनी रहती है। वे प्राकृतिक वनस्पति को संतुलित रखने में भी मदद करते हैं।

    भारत में हाथियों का महत्व

    भारतीय संस्कृति में हाथी को विशेष स्थान प्राप्त है। वह भगवान गणेश का प्रतीक हैं और उन्हें शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, धार्मिक त्योहारों में हाथियों का सजावट और शोभायात्रा में प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है।

    हाथियों के सामने चुनौतियाँ

    आजकल हाथियों के सामने कई चुनौतियाँ हैं जैसे जंगलों की कटाई, अवैध शिकार, और उनके प्राकृतिक आवास का घटता क्षेत्र। इसके कारण हाथियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। हमें इस बारे में जागरूक होने और उनके संरक्षण के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।

    निष्कर्ष

    हाथी प्रकृति के अद्भुत जीव हैं जिनकी उपस्थिति हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान देती है। उनकी रक्षा और संरक्षण न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान को भी दर्शाता है। आइए हम सब मिलकर हाथियों के संरक्षण के लिए काम करें और इस महान जीव को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाए रखें।

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  • तुलसी विवाह पर कविता

    तुलसी विवाह पर कविता पौराणिक कथा पर आधारित है और वृंदा और भगवान विष्णु के अवतार जालंधर की कहानी को प्रस्तुत करती है।

    गंगा द्वारा श्रीहरि को श्राप देने से लक्ष्मी को धरती पर दो रूपों में जन्म लेना पड़ा – एक वृंदा के रूप में, जिसने कठिनाइयों का सामना किया और दूसरी पद्मा नदी के रूप में, जो विश्व का उद्धार करती है। भगवान विष्णु ने वृंदा को समझाया कि वह लक्ष्मी का ही अवतार है, और इस भक्ति-निष्ठा के कारण वृंदा का तुलसी के पौधे के रूप में प्रतिष्ठान हुआ। शालिग्राम और तुलसी का विवाह हरि और तुलसी के संगम का प्रतीक बन गया, जो भक्ति में सच्चे प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।

    यह कथा भगवान विष्णु के माया, करुणा, और भक्तों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है, और यह बताती है कि किस तरह सच्ची भक्ति का फल सदैव सकारात्मक होता है।

    तुलसी विवाह

    तुलसी संग हरि का बंधन,
    प्रेम-भक्ति का अनुपम संगम।
    शालिग्राम संग हुई तुलसी,
    बनी हरि के मन की अभिलाषा।

    देवी तुलसी, पावन पौधा,
    जिसमें है हरि की महिमा।
    सच्ची निष्ठा और प्रेम का,
    यह है अमर प्रतीक व आश्रय।

    एकादशी का पावन अवसर,
    हरि संग तुलसी का बंधन सुंदर।
    व्रत, पूजा, मंगल गान,
    हर मन में प्रेम का संचार।

    भगवान के संग तुलसी का मेल,
    दूर करे जीवन के कष्टों का खेल।
    भक्तों के मन में उमंग जगाए,
    हर दिन सच्ची भक्ति को बढ़ाए।

    हरि संग तुलसी का यह विवाह,
    धर्म, भक्ति का महान गाथा।
    इससे मिलता आशीर्वाद अपार,
    तुलसी-शालिग्राम का पवित्र अधिकार।

    श्रीमती मीना पटेल

    तुलसी विवाह पर कविता

    वैकुण्ठ में गंगा ने,
    दिया श्री को श्राप,
    धरती पर जन्मेंगी लक्ष्मी,
    दो रूप के साथ,
    एक रूप में वृंदा बनकर,
    सहे कष्ट अपार,
    दूजे रूप में पद्म नदी बन,
    करे जगत उद्धार,
    हरि जानकर घटना यह,
    क्षोभ करे अपार,
    गंगा की इस करनी पर,
    लगा रहे फटकार,
    लक्ष्मी को भी फिर आस दिलाकर,
    हरि करे उपकार,
    वृंदा बनकर तू जन्में,
    हर मेरा ही अवतार,
    जालंधर दानव भी हैं,
    मेरा ही एक रूप,
    चिंता नाकर हे देवी,
    तू लौटे शीघ्र स्वरूप,
    वृंदा देवी मय दानव की,
    बेटी बनकर जन्मी,
    जालंधर से ब्याह हुआ,
    जैसी निर्धारित करनी,
    हरि उपासक वृंदा ने,
    सब जतन किए हजार,
    पति रहे सबल कुशल,
    यही हृदय विचार,
    जालंधर की करनी से,
    आहत था संसार,
    पर सतीत्व की रक्षा से,
    वो बच जाए हर बार,
    तब हरि ने फिर माया रच,
    रूप लिए एक बार,
    जालंधर का भेष बनाकर,
    सतीत्व किया बेकार,
    सत्य जानकर नारायण की,
    आहत हुई वो नार,
    पाषाण हो जाए परमेश्वर,
    यह न्याय की हैं पुकार,
    तब हरि ने वृंदा को,
    समझाया सत्य विचार,
    तू वृंदा कोई और नही,
    है लक्ष्मी का अवतार,
    तेरी भक्ति निष्ठा से,
    हुआ आज प्रसन्न,
    तू तुलसी का पौधा हो,
    मैं पाषण बनूँ इस क्षण,
    वो पाषण इस जग में,
    शालिग्राम कहाए,
    तुलसी संग एकादशी को,
    हरि विवाह रचाए।
  • प्रकृति पर दोहे/रेखराम साहू

    प्रकृति पर दोहे/रेखराम साहू

    प्रकृतिजन्य जीवन सभी,रहे नित्य यह ज्ञान।
    घातक जो इनके लिए, त्याज्य सभी विज्ञान।।

    प्रकृति बिना जीवन नहीं,प्रकृति प्राण आधार।
    जीवन और प्रकृति बिना,धन-पद सब निस्सार।।

    जीवन पोषक हों सभी, धर्म-कर्म के कोष।
    धर्म-कर्म परखे बिना, दुर्लभ है संतोष।।

    देश-काल संदर्भ में, हितकारी व्यवहार।
    मानक धर्मों का यही,करे विश्व स्वीकार।।

    हर युग के इतिहास में, निहित ज्योति-अँधियार।
    नवयुग तम को त्याग कर,करे ज्योति संचार।।

    छाती पर बैठा रहा,काला अगर अतीत।
    कैसे फूटेगा भला,नव प्रकाश का गीत।।

    भूख सभी की एक सी,सब की प्यास समान।
    पीड़ा सब की एक सी, सबको प्यारी जान।।

    पशु बल से कब कौन है,सका शांति को साध।
    इससे बढ़ता ही गया, और अधिक अपराध।।

    लिखो चिट्ठियाँ प्रेम की,नव पीढ़ी के नाम।
    उजला-उजला दिन लिखो,शांतिदायिनी शाम।।

    *रेखराम साहू*

  • कवि / कविता पर कविता/ राजकुमार ‘मसखरे

    कवि / कविता पर कविता/ राजकुमार ‘मसखरे

    आज़कल  कवि  होते नही हैं
    वे सीधे ही  कवि बन जाते हैं,
    कुछ लिखने व मंथन से पहले
    कोई  नकली  ‘नाम’ जमाते हैं !

    यही कोई ‘उपनाम’ लिख कर
    फिर नाम  मे ‘कवि’  लगाते हैं,
    दो,चार रचना क्या लिख डाले
    ‘भाँटा-मुरई’ को सही बताते हैं !

    ‘पताल चटनी’ लिख- लिख कर
    ये समृद्ध साहित्यकार कहाते हैं,
    फिर फर्जी डिग्री हासिल कर के
    पीएचडी वाले डॉक्टर हो जाते हैं !

    जुगाड़ लगाकर पुरस्कृत हो जाते
    फिर राष्ट्रीय कवि भी बन आते हैं,
    क्या लिखें व किसके  लिये लिखें
    ये भूल, इन्हें सिरहाने धर जाते हैं !

    किसी आका  का  चारण  बन
    वह  शानदार  मंच सजवाते हैं,
    फिर भक्ति की गाना गा-गा कर
    अपनी वाह ! वाह ! करवाते हैं !

    शब्दों को अर्थ,लेखनी को पहचान
    अबला को बल व वंचितों को मान,
    कवि / साहित्यकार तो वही होते हैं
    जो समाज हित में लिखते,दे ध्यान !

    तुक मिलाओ, मात्रा और वर्ण गिनों
    ठीक,पर कविता की नही परिभाषा,
    हों व्याकरणिक,दिल को झकझोर दे
    यही कवि से है सब की  अभिलाषा !

                  — *राजकुमार ‘मसखरे’*