छेरछेरा पर कविता / राजकुमार ‘मसखरे

छेरछेरा छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख लोक पर्व है, जिसे पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन गाँवों में बच्चे और युवा घर-घर जाकर अन्न (धान) मांगते हैं और लोग खुशी-खुशी उन्हें दान करते हैं। इस पर्व का उद्देश्य समाज में दान-पुण्य और सहिष्णुता को बढ़ावा देना है। छेरछेरा पर कविता / राजकुमार … Read more

विश्व हिंदी दिवस पर कविता / राकेश राज़ भाटिया

विश्व हिंदी दिवस पर कविता “यह हिंदी मन के हर भाव की भाषा है” स्नेह भरे हर मन से मन के यह लगाव की भाषा है। जो रिश्तों को अमृत देता है उस आव की भाषा है।।जब अधरों को छू जाती है, हृदय को जीत लेती है,यह हिंदी तो मन में उमड़ते हर भाव की … Read more

क्या होगा / विनोद सिल्ला

क्या होगा हाथ हाथ को काट रहा है क्या होगा।भाई भाई को बांट रहा है क्या होगा।। कटना बंटना रास रहा है उसको तो,एक एक को छांट रहा है क्या होगा।। शेर  बकरियां एक घाट कैसे पीएं,नाम शेर के घाट रहा है क्या होगा।। खून लगा है छूरी पर भी भाई का,उस छूरी को चाट … Read more

अंग्रेजी नववर्ष अभिनंदन / आचार्य गोपाल जी

अंग्रेजी नववर्ष अभिनंदन १.कहें चौबीस अलविदा, स्वागत है नववर्ष|मंगल मोद मना रहे़ं , है प्रतीक्षा सहर्ष ||है प्रतीक्षा सहर्ष, स्वप्न चौबीस के सजे|हर्षित जनमन‌ आज, नूतन संवत् विराजे||विनय करे ‘गोपाल’ , खुशी बाँटते सब रहे़ं।अंग्रेजी वर्ष की ,शुभेच्छा भी सभी कहें || २.मंगलमय  नववर्ष  हो, खुशमय हो परिवार।घर में मिल-जुल कर रहें,बाँटें सबको प्यार।।बाँटें सबको … Read more

एक जनवरी पर कविता / शिवशंकर शास्त्री “निकम्मा”

एक जनवरी भारत का,कोई  भी नूतन साल नहीं।। चैत्र प्रतिपदा शुक्ल पक्ष,नववर्ष है, किसको ख्याल नहीं? पेड़ों में पत्ते हैं पुराने,ठिठुर रहे हम जाड़े में।धुंध आसमां में छाए हैं,जलती आग ओसारे में।।तन में लपेटें फटे पुराने,कहीं न जाड़ा लग जाए,।धूप सूर्य की नहीं मिल रही,तरस रहें कि मिल जाए।। हमें जनवरी ना भाये, है हमसे … Read more