योग पर कविता

योग पर कविता

योग से दिन है सुहाना,  
योग को जरूर अपनाना। 

योग ध्यान करके दिन की शुरुआत करना। 
निरोग रहकर स्वास्थ्य को अच्छा बनाना ।

हर कार्य को तन मन लगाकर, 
जीवन की संघर्ष को आसान बनाना ।

योग से दिन है सुहाना, 
योग को जरूर अपनाना।

खान पान को सादगी सरल करना। 
जीवन में आत्मीय गुण को जगाना ।

आपस में प्रेम भाव को बढ़ाकर
हंसता-खेलता जीवन को आगे चलाना ।
योग से दिन है सुहाना,  
योग को जरूर अपनाना। 

कवि डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर”

पीपरभवना, बलौदा बाजार(छ.ग.)

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