Author: कविता बहार

  • महाभारत पर दोहा : 10 पात्रों की व्याख्या

    महाभारत पर दोहा : 10 पात्रों की व्याख्या

    महाभारत पर दोहा संग्रह। अर्जुन, भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, द्रौपदी और अन्य पात्रों की जीवन गाथाओं को संक्षेप में काव्य रूप में जानें। जानिए इन महाकाव्य नायकों की विशेषताएं और शिक्षाएं।

    महाभारत भारत का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। 

    महाभारत पर दोहा संग्रह

    महाभारत पर दोहा

    कौरव पर दोहा

    अनुचित हठ अंकुश करें, संतानों की आप।
    कौरव सम असहाय हो, हठी पुत्र अभिशाप।।

    कर्ण पर दोहा

    अस्त्र शस्त्र विद्या धनी, खड़े अधर्मी साथ।
    निष्फल सब वरदान हों, शक्ति रहित दो हाथ।।

    अश्वत्थामा पर दोहा

    विद्या बल करने लगे, शाश्वत जग का नाश।
    चाह असंगत पुत्र की, बाँध ब्रह्मा के पाश।।

    भीष्म पितामह पर दोहा

    भीष्म प्रतिज्ञा कीजिये,सोच धर्महित ज्ञान।
    वरन अधर्मी पग तले, सहन करो अपमान।।

    दुर्योधन पर दोहा

    शक्ति राज्य अरु संपदा, दुराचार सह भोग।
    स्वयं नाश दर्शन करे, यही नियत संयोग।।

    धृतराष्ट्र पर दोहा

    नेत्रहीन के हाथ में, मुद्रा मदिरा मोह।
    सर्वनाश निश्चित करे, सत्ता काया खोह।।

    अर्जुन पर दोहा

    चंचल मन विद्या रखें, बाँध बुद्धि की डोर।
    विजय सदा गांडीव दे, जयकारे चहुँओर।।

    शकुनि पर दोहा

    द्वेष कपट छल छोड़िए, कूटनीति की दाँव।
    सफल सुखद संभव कहाँं, शूल वृक्ष की छाँव।।

    युधिष्ठिर पर दोहा

    धर्म कर्म पथ में रहें, पालन प्रतिपल नाथ।
    अविजित जग में धर्म है, विजय तुम्हारे हाथ।।

    श्री कृष्ण पर दोहा

    धर्म न्याय संगत रहें, सोच प्रथम परमार्थ।
    चक्र सुदर्शन थाम कर, करें कर्म चरितार्थ।।

    महाभारत पर दोहा के अर्थ

    महाभारत के पात्रों पर आपके द्वारा प्रस्तुत दोहों के अर्थ इस प्रकार हैं:

    1. कौरव
      अनुचित हठ और जिद से अपनी संतानों पर नियंत्रण नहीं करना अनर्थकारी हो सकता है। कौरवों की तरह जिद्दी पुत्र परिवार और समाज के लिए अभिशाप होते हैं।
    2. कर्ण
      भले ही कर्ण अस्त्र-शस्त्र और विद्या में प्रवीण था, लेकिन वह अधर्म के साथ खड़ा था। उसके सारे वरदान निष्फल हो गए, और उसकी ताकत भी बेकार हो गई क्योंकि उसका साथ अधर्मी था।
    3. अश्वत्थामा
      अश्वत्थामा, जो विद्या और बल से संपन्न था, अंततः अपनी क्रोधी प्रवृत्ति से संसार का नाश करने पर उतारू हो गया। पिता की असंगत अपेक्षाओं ने उसे विनाश की ओर धकेल दिया।
    4. भीष्म पितामह
      भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा धर्म और ज्ञान के नाम पर की, लेकिन अधर्मियों के साथ जुड़ने के कारण उन्हें अपमान सहना पड़ा। उनका बलिदान उन पर भारी पड़ा।
    5. दुर्योधन
      शक्ति, राज्य और संपदा के लोभ में दुर्योधन ने दुराचार का रास्ता अपनाया। इस कारण वह स्वयं अपने नाश को सामने देखते हुए भी उसे रोक नहीं पाया, क्योंकि यही उसकी नियति थी।
    6. धृतराष्ट्र
      धृतराष्ट्र, जो नेत्रहीन थे, सत्ता और मोह के नशे में खोए हुए थे। उनका यह मोह परिवार और राज्य का सर्वनाश करने वाला साबित हुआ।
    7. अर्जुन
      अर्जुन के चंचल मन को विद्या और ज्ञान ने बांधे रखा, और जब उसने अपनी बुद्धि से गांडीव का सहारा लिया, तब उसे सर्वत्र विजय मिली और उसकी जयकार पूरे संसार में गूंज उठी।
    8. शकुनि
      शकुनि के द्वेष, छल और कपट ने उसके जीवन में विष बो दिया। छल-कपट और कूटनीति की चालों से जीवन में कोई सच्चा सुख और सफलता संभव नहीं होती, यह ठीक वैसा ही है जैसे कांटे के वृक्ष की छाया में सुख तलाशना।
    9. युधिष्ठिर
      युधिष्ठिर धर्म के पथ पर चलते हुए अपने कर्मों का पालन करते रहे। उनके धर्म के प्रति समर्पण ने उन्हें जग में अजेय बना दिया, और विजय उनके हाथ में थी क्योंकि धर्म ही सबसे बड़ी विजय है।
    10. श्रीकृष्ण
      श्रीकृष्ण का संदेश है कि धर्म और न्याय का पालन करते हुए हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में सोचें। उन्होंने सुदर्शन चक्र उठाकर कर्म के महत्व को सिद्ध किया, जिससे धर्म की स्थापना हुई।

    महाभारत पर दोहा संग्रह महाभारत के विभिन्न पात्रों के गुण, दोष, और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं, जो हमें जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में सही दिशा दिखाते हैं।

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  • पेड़ हमारे मित्र पर कविता

    पेड़ हमारे मित्र पर कविता

    पेड़ हमारे जीवन के अनमोल साथी और सच्चे मित्र होते हैं। ये हमें स्वच्छ वायु, छाया, और अनेक प्रकार के फल-फूल प्रदान करते हैं। इनका महत्व केवल हमारे दैनिक जीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

    पेड़ हमारे सच्चे मित्र हैं जो निःस्वार्थ भाव से हमें अनेक लाभ प्रदान करते हैं। इनकी रक्षा करना और इन्हें संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए ताकि हम और आने वाली पीढ़ियाँ एक स्वस्थ और संतुलित पर्यावरण में जी सकें।

    इस प्रकार, “पेड़ हमारे मित्र” कविता संकलन के माध्यम से कवि ने पेड़ों के महत्व और उनके प्रति हमारी जिम्मेदारियों को उजागर किया है।

    पेड़ हमारे मित्र पर कविता"
    poem on trees

    पेड़ पर कविता

    पेड़वा बिना (भोजपुरी पर्यावरण गीत)

    जइसे तड़पेले जल बिना मछरी ना हो |
    तड़पे छतिया धरती पेड़वा बिना |
    गावे ना गोरिया सावन बिना कजरी ना हो |
    सतावे बरखा रतिया गोरी सजना बिना |

    महल अटारी मिलवा बनवले वनवा उजारी |
    पेड़वा के काटी काटी धरती दिलवा दुखाई |
    बरसेला बदरा कबों दुनिया ना हो पेड़वा बिना |

    बाची कईसे धरती पेड़वा ना लउके कही |
    जीव जन्तु पशु पक्षी बचावे जान भऊके कही |
    बची ना धरती अब आदमी के जतिया ना हो
    पेड़वा बिना |

    चीरइ क चह चह कोइलर कुहु ना सुनाला कही |
    झरना क झर झर पवनवा सर सर ना दिखाला कही |
    जिये खातिर मिले नाही हवा नकिया ना हो ,
    पेड़वा बिना |

    चाही हरियाली यदी धरती पेड़वा लगावा सभे |
    जल जंगल जमीन मिली परती बचावा सभे |
    मिलीहें ठंडी ठंडी पवन पुरवईया ना हो ,
    पेड़वा बिना |

    जइसे तड़पेले जल बिना मछरी ना हो |
    तड़पे छतिया धरती पेड़वा बिना |
    श्याम कुँवर भारती (राजभर)

    पेड़ पूर्वज पौध प्रिय संतान है

    पेड़ पूर्वज, पौध प्रिय संतान है।
    सिद्धकृत अध्यात्म है, विज्ञान है।।

    सभ्यता-शैशव पला मृदु छाँव में,
    कंद-फल संपन्न तरु के गाँव में।
    स्नेह-शाखाएँ बनी आवास थीं,
    मूलतः थी शक्ति-गहरी,पाँव में।।
    प्राण का आदिम यही रस पान है…

    वन धरा का साज है श्रृंगार है ,
    प्राणियों के हित इला का प्यार है।
    है नियंता शुद्धतम जलवायु का,
    सृष्टि का अनमोल यह उपहार है।।
    यह नहीं तो,भाँति किस उत्थान है?

    तरु-लताओं का अमोलक दान है,
    किंतु हमने क्या दिया प्रतिदान है?
    काटते हैं शीश उस आशीष का,
    प्राण का जिससे मिला वरदान है।।
    लोभ से अंधा,बधिर अब ज्ञान है।

    पौधरोपण का चलो अब प्रण करें’
    वन्य -अभयारण्य स़ंरक्षण करें।
    शस्य से हो यह धरित्री श्यामला,
    श्रम अहर्निश विश्व के जन-गण करें।
    लक्ष्यगामी कर्म ही अभियान है।

    पेड़ पूर्वज, पौध प्रिय संतान है।
    सिद्धकृत, अध्यात्म है, विज्ञान है।

    रेखराम साहू

    पेड़ भाई पर कविता

    धरती में जन्मे ….आदमी
    धरती में उगे ….पेड़
    सगे भाई हुए न…..!

    धरती ने माँ का फर्ज निभाया…
    पेड़ों ने भी न रखा बकाया…
    पर आदमी..औकात पर उतार आया
    माँ का दामन बाँट दिया..
    भाई का सर काट दिया…
    धरा की छाती छलनी कर् दी..
    जंगलों को जहर बांटे…
    इंसानी फितूर ने…
    सदा भाइयों के हाथ -पैर काटे….!!!!

    दरअसल गलती आदमी की भी नहीं
    खुदा ने उसे ..मुंह ऐसा दिया कि…
    कुत्ते सा भौंके और काटे भी !
    जिन्दगी बख्शने वाले भाई के
    कुनबे में जहर बांटे भी..?!
    पेर ऐसे दिए कि…..पल भर में
    वामन की तरह संसार नाप ले..
    दिमाग लोमड़ी की तरह कि….
    दूसरों का सुख -सार टॉप ले..!
    जीभ दिया सुवर सा कि…
    जहां भर की गंदगी खाके पचा जाए..
    टोक दो कि रोक दो तो…
    दुनिया की जान खा जाए…!?!

    वृक्ष बन्धु ने पर..सदा बांटा
    मौत के बदले …जिंदगी,
    आदि से अंत तक कर दी
    आदमी की बंदगी…

    धरा की कोख से जनते ही
    दातुन-दोना-पत्तलों में
    फिर खिलौनों -खाट और सामान बन गया,
    सूरज की आग और
    इंद्र के बज्र से
    आसमानी कहर से बचाने आदम के सर तन गया,,
    छत बना, घर बना, भोजन-भाजन-शयन बना
    जिंदगी भर काम आया
    फिर मरा जब आदमी तो
    घर से घाट तक
    और आखिर में साथ जलकर स्वर्ग तक भी..!!

    आदमी यदि हरित बन्धु का
    क़त्ल तू करता रहेगा…
    धरा औ आकाश बीच
    कार्बन भरता रहेगा…
    जिंदगी चैन की साँसे
    कभी न ले सकेंगी …!
    विश्व की प्राण वायु
    विष विष विष हो चलेगी…।

    तब फिर उगेंगे ये धरा की कोख से
    जिंदगी को जान देने
    विष के प्रकोप से…
    ये हवा का विष को काट
    खुद को नेस्तनाबूद करने वालों को
    जीवन बांटेंगे…..
    जिस तरह आदम
    नहीं छोड़ेगा अपनी फितरत,..
    पेड़ भी न छोड़ेगा
    प्राण वायु देने की नियामत..।

    बेचारे पेड़ भाई
    सुख में दुःख में
    जीने मरने में शामिल..
    आदमी के काम आ फुला नहीं समाता,
    पर ..तब,..क्रोधित हो जाता है
    जब कागजों औ भाषणों में
    ऊसे जनता है आदमी..
    राष्ट्रिय कोषों को हड़पने
    भगवा पहन,अगुवा बनता है आदमी…
    टोपी,कुर्सी,वर्दी की जेब भरने
    देश जन की छाती में
    गढ़े खनता है आदमी..!
    उनके लिए प्राण वायु की जगह
    विष उगल देगा पेड़…खोकर धैर्य…।।।

    डॉ0दिलीप गुप्ता

  • पुष्प की अभिलाषा हिंदी कविता

    पुष्प की अभिलाषा हिंदी कविता

    “पुष्प की अभिलाषा” माखनलाल चतुर्वेदी की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें एक पुष्प (फूल) की इच्छाओं और उसकी बलिदानी भावना का सुंदर वर्णन किया गया है। इस कविता के माध्यम से, कवि ने देशभक्ति और आत्म-समर्पण की भावना को प्रस्तुत किया है।

    पुष्प की अभिलाषा

    पुष्प की अभिलाषा / माखनलाल चतुर्वेदी


    चाह नहीं, मैं सुरबाला के
    गहनों में गूँथा जाऊँ,


    चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
    प्यारी को ललचाऊँ,


    चाह नहीं सम्राटों के शव पर
    हे हरि डाला जाऊँ,


    चाह नहीं देवों के सिर पर
    चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,


    मुझे तोड़ लेना बनमाली,
    उस पथ पर देना तुम फेंक!


    मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
    जिस पथ पर जावें वीर अनेक!

    यहाँ पर कविता का भावार्थ दिया गया है:

    भावार्थ:

    इस कविता में एक पुष्प अपनी अभिलाषा प्रकट करता है। वह पुष्प किसी राजमहल की शोभा बनने या किसी प्रियजन के बालों में सजने की इच्छा नहीं करता। वह यह भी नहीं चाहता कि उसे देवताओं की पूजा में चढ़ाया जाए। उसकी अभिलाषा कुछ और ही है, वह अपने जीवन को देश के लिए बलिदान करने की इच्छा रखता है। पुष्प चाहता है कि जब वह खिले, तो उसे उस पथ पर फेंक दिया जाए जिस पर देश के वीर सपूत स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए जा रहे हों। वह वीरों के पैरों में कुचला जाना चाहता है, ताकि वह भी देश के लिए अपना जीवन न्योछावर कर सके।

    मुख्य विचार:

    1. देशभक्ति: पुष्प की देश के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना को दर्शाया गया है।
    2. बलिदान की भावना: पुष्प का यह कहना कि वह वीरों के पैरों में कुचला जाना चाहता है, बलिदान की भावना को दर्शाता है।
    3. सादगी और त्याग: पुष्प की इच्छाएँ भौतिक सुखों से परे हैं, जो सादगी और त्याग का प्रतीक हैं।

    निष्कर्ष:

    माखनलाल चतुर्वेदी ने इस कविता के माध्यम से यह संदेश दिया है कि वास्तविक सौंदर्य और मूल्य देश के लिए बलिदान में है। यह कविता पाठकों को देशभक्ति और आत्म-समर्पण के लिए प्रेरित करती है। पुष्प के माध्यम से कवि ने यह व्यक्त किया है कि एक साधारण व्यक्ति भी अपने देश के लिए कितना बड़ा योगदान दे सकता है।

  • धाकड़ मनु भाकर / शिवराज चौहान, हरियाणा

    धाकड़ मनु भाकर / शिवराज चौहान, हरियाणा

    मनु भाकर एक भारतीय शूटर हैं जिन्होंने अपनी युवा उम्र में ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनका पूरा नाम मनु भाकर है और वह हरियाणा, भारत से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने पिस्टल शूटिंग इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

    धाकड़ मनु भाकर/ शिवराज चौहान, हरियाणा

    हरियाणा की छोरी तन्नैं,
    कर दिया कमाल।
    जग में ऊंचा ठा दिया,
    भारत मां का भाल।।

    खानपुर पास जिला झज्जर मैं,
    खास ‘गोरिया’ गांम।
    ‘मनु भाकर’ नैं लगा निशाना,
    बड़ा कमाया नाम।।
    पाया जल्द मुकाम,
    जहां पर लगते सालों साल…

    छोटी गुड़िया की आंखों में,
    सपने बड़े-बड़े थे।
    सपनें संजोनें में अपने,
    हरदम साथ खड़े थे।।
    बुरे वक्त को भी सब ने,
    हंस के दिया निकाल…

    मां की पूजा, प्यार पिता का,
    बड़कों का आशीष।
    गुरु ज्ञान और किरपा बरसे,
    बजरंग, मथुराधीश।।
    पूरा देश दुआएं देता,
    कर कर आज धमाल…

    टोकियो मैं पिस्टल बिगड़ी,
    रह गई आश अधूरी।
    इबकै इस जिद्दण छोरी नै,
    कसर काढ दी पूरी।।
    तिरंगा🇮🇳 पेरिस फहराया,
    दो-दो मैडल डाल…
    हरियाणा की छोरी तन्नै,
    कर दिया कमाल…

    # शिवराज सिंह चौहान ,प्राचार्य , श.जीतराम रा. माॅ. सं. व. मा. वि.नाहड़, रेवाड़ी (हरियाणा)

    धाकड़ मनु भाकर / शिवराज चौहान, हरियाणा

    आइए मनु भाकर एक भारतीय शूटर के बारे में विस्तार से जानें:

    प्रारंभिक जीवन

    • जन्म: मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी 2002 को हुआ था।
    • गृहनगर: झज्जर, हरियाणा।
    • शिक्षा: उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हरियाणा के गोरिया गाँव के स्कूल से पूरी की।

    करियर की शुरुआत

    • मनु भाकर ने 2017 में शूटिंग करियर की शुरुआत की।
    • उन्होंने जल्द ही राष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिताओं में अपनी पहचान बनाई और अपने प्रदर्शन के लिए प्रशंसा प्राप्त की।

    उपलब्धियाँ

    1. राष्ट्रीय खेल: मनु ने 2017 में राष्ट्रीय खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता।
    2. विश्व कप: उन्होंने 2018 में आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीता, जिससे वह सबसे कम उम्र की भारतीय शूटर बनीं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
    3. युवा ओलंपिक खेल 2018: मनु ने युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता, जो इस प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला था।
    4. एशियाई खेल: उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में भी भाग लिया और मिश्रित टीम स्पर्धा में पदक जीता।

    विशेषताएँ

    • घरेलू प्रतियोगिताएं: मनु ने भारतीय राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में भी कई पदक जीते हैं।
    • प्रशिक्षण: वह अपनी सटीकता और फोकस के लिए जानी जाती हैं, और उनके कोचिंग स्टाफ में प्रसिद्ध प्रशिक्षक शामिल हैं।

    व्यक्तित्व

    • मनु भाकर अपने अनुशासन, दृढ़ संकल्प और सटीकता के लिए जानी जाती हैं।
    • वह युवा एथलीटों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं और उन्होंने भारतीय खेलों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया है।

    मनु भाकर ने न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय शूटिंग को एक नई पहचान दिलाई है। उनका योगदान और सफलता भारतीय खेल समुदाय में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उनकी कहानी युवाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती है।

  • दीदी की डायरी पर कविता/ जानसी पटेल

    दीदी की डायरी पर कविता/ जानसी पटेल

    दीदी की डायरी पर कविता/ जानसी पटेल

    दीदी की डायरी में, अनगिनत कहानियाँ,
    सपनों की बातें और बचपन की नादानियाँ।

    रंग-बिरंगे पन्ने, सजी यादों से प्यारे,
    सुख-दुःख के पल, हर पन्ने में गुज़ारे।

    पहला प्यार, पहली दोस्ती की कहानी,
    स्कूल के दिन, और परीक्षा की निशानी।

    माँ की डाँट, पापा का प्यार भरा पत्र,
    हर पन्ना बोले, जैसे हो कोई मंत्र।

    आँखों में सपने, भविष्य की उड़ान,
    दीदी की डायरी में, सजी हर एक जान।

    रात की खामोशी में, जब सब सो जाते,
    दीदी की डायरी, मेरे संग परह जाते।

    भावनाओं का दरिया, उसमें बहता,
    हर पन्ना जैसे, जीवन का रहस्य कहता।

    दीदी की डायरी, अनमोल धरोहर,
    स्मृतियों का खजाना, सजीव चित्रों का सफर।