स्वप्नों के पार -मनीभाई नवरत्न
स्वप्नों के पार सपनों की इस बगिया में, छिपा है एक रहस्य,नयन मूँदते ही खुलता, अंतरतम का दर्पण विशेष्य।जहाँ न कोई सीमा होती, न बंधन का नाम,केवल भाव बहते रहते, अंतर्मन की ध्वनि संग्राम।। चेतन की सीमाओं से, जब मन…
स्वप्नों के पार सपनों की इस बगिया में, छिपा है एक रहस्य,नयन मूँदते ही खुलता, अंतरतम का दर्पण विशेष्य।जहाँ न कोई सीमा होती, न बंधन का नाम,केवल भाव बहते रहते, अंतर्मन की ध्वनि संग्राम।। चेतन की सीमाओं से, जब मन…
महिला दिवस पर दोहा छंद / डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ सृष्टि सृजन में है सदा, नारी का अनुदान।पुरुष बराबर कर्म कर, बनी देश की शान।। नारी देवी तुल्य है, ममता की भंडार।सदा संघर्ष कर रही, माने कभी न हार।। निज…
मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकरमैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ। मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,मैं कभी न जग का ध्यान किया…
सीताराम सीताराम सीताराम कहिए सीताराम सीताराम सीताराम कहिए।जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए।। 1. मुख में हो राम नाम, राम सेवा हाथ में,तू अकेला नहीं प्यारे, राम तेरे साथ में,विधि का विधान जान, हानि-लाभ सहिए।। 2. किया अभिमान तो…
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह॥ रहीम कहते हैं कि किसी चीज़ को पाने की लालसा जिसे नहीं है, उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं हो सकती। जिसका मन इन तमाम चिंताओं से…