चाह गई चिंता मिटी: एक प्रेरणादायक कविता
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह॥ रहीम कहते हैं कि किसी चीज़ को पाने की लालसा जिसे नहीं है, उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं हो सकती। जिसका मन इन तमाम चिंताओं से…
हिंदी कविता संग्रह
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चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह॥ रहीम कहते हैं कि किसी चीज़ को पाने की लालसा जिसे नहीं है, उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं हो सकती। जिसका मन इन तमाम चिंताओं से…
दीपोत्सव का आत्मप्रकाश(एक आध्यात्मिक कविता) हर वर्ष आता दीप पर्व, लाता रोशनी का संदेश,पर क्या जलाया अंतर्मन, या फिर दीप विशेष?भीतर झांको, पूछो खुद से, क्या बढ़ा है ज्ञान?या अब भी छाया है भीतर, अज्ञान का संधान? निरंतर आत्म-मूल्यांकन, यही…
मनीभाई नवरत्न की कविता "ब्रह्मचर्य का सत्य" आत्म-संयम और आध्यात्मिक जागृति की गहन खोज करती है। पढ़ें यह प्रेरक और दार्शनिक रचना जो आत्मा की शुद्धता और सत्य की ओर ले जाती है।
स्वप्नों के पार सपनों की इस बगिया में, छिपा है एक रहस्य,नयन मूँदते ही खुलता, अंतरतम का दर्पण विशेष्य।जहाँ न कोई सीमा होती, न बंधन का नाम,केवल भाव बहते रहते, अंतर्मन की ध्वनि संग्राम।। चेतन की सीमाओं से, जब मन…
महिला दिवस पर दोहा छंद / डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ सृष्टि सृजन में है सदा, नारी का अनुदान।पुरुष बराबर कर्म कर, बनी देश की शान।। नारी देवी तुल्य है, ममता की भंडार।सदा संघर्ष कर रही, माने कभी न हार।। निज…