माँ के आँचल में सो जाऊँ (१६ मात्रिक)
माँ के आँचल में सो जाऊँ (१६ मात्रिक) आज नहीं है, मन पढ़ने का,मानस नहीं गीत,लिखने का।मन विद्रोही, निर्मम दुनिया,मन की पीड़ा, किसे बताऊँ,माँ के आँचल में, सो जाऊँ। मन में यूँ तूफान मचलते,घट मे सागर भरे छलकते।मन के छाले घाव बने अब,उन घावों को ही सहलाऊँ,माँ के आँचल में सो जाऊँ। तन छीजे,मन उकता … Read more