by कविता बहार | Jul 20, 2021 | दिन विशेष कविता
प्रकृति से खिलवाड़ का फल -महदीप जंघेल हसदेव जंगल विधा -कविता(विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस)बादल बरस रहा नही,जल बिन नयन सून।प्रकृति से खिलवाड़ का फल,रूठ गया मानसून।प्रकृति रूठ गई है हमसे,ले रही ब्याज और सूत।धरती दहक रही बिन जल,सब मानवीय करतूत।विकास की चाह में हमने,न जाने...
by कविता बहार | Jul 20, 2021 | हिंदी कविता
प्रकृति से खिलवाड़/बिगड़ता संतुलन हसदेव जंगल बिना भेद भाव देखो,सबको गले लागती है।धूप छाँव वर्षा नमीं,सबको ही पहुँचाती है।हम जिसकी आगोश में पलते,वह है मेरी जीवनदाती।सुखमय स्वस्थ जीवन देने की,बस एक ही है यह थाती।जैसे जैसे नर बुद्धि बढ़ी,जनसंख्या होती गयी भारी।शहरीकरण के...
by कविता बहार | Jul 20, 2021 | हिंदी कविता
धरती को सरसा जाओ कविता संग्रह कोयल केकी कीर सभी को,फिर से अब हरषा जाओ।उमड़-घुमड़ कर बरसो मेघा,धरती को सरसा जाओ। //1//कोमल-कोमल पात वृक्ष को,फिर से आज सजाएंगे।भू में दादुर नभ में खगदल,गीत प्रीति के गाएंगे।हरित तृणों की ओढ़ चुनरिया,धरती रूप संवारेगी।कलिया भी भौरे के...
by कविता बहार | Jul 19, 2021 | विविध छंदबद्ध काव्य, हिंदी आरती
विधाता छंद में प्रार्थना छंद विधाता छंद१२२२ १२२२, १२२२ १२२२. प्रार्थना.सुनो ईश्वर यही विनती,यही अरमान परमात्मा।मनुजता भाव मुझ में हों,बनूँ मानव सुजन आत्मा।.रहूँ पथ सत्य पर चलता,सदा आतम उजाले हो।करूँ इंसान की सेवा,इरादे भी निराले हो।.गरीबों को सतत ऊँचा,उठाकर मान दे...
by कविता बहार | Jul 19, 2021 | विविध छंदबद्ध काव्य
हम तुम दोनों मिल जाएँ shadi मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुमहम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ।हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के गीत बघारें।छोड़ कुरीति कुचालें सारी,आओ नया समाज सँवारें।हम तुम मिल नवरस में गाएँ,गीत नए...