आशंका- विज्ञ छंद-बाबू लाल शर्मा बौहरा विज्ञ
कोविड से त्रस्त भू चित्रण
कोविड से त्रस्त भू चित्रण
प्रेरणा दायक कविता – आगे बढ़े चलेंगे यदि रक्त बूंद भर भी होगा कहीं बदन में,नस एक भी फड़कती होगी समस्त तन में,यदि एक भी रहेगी बाकी तरंग मन में,हर एक साँस पर हम आगे बढ़े चलेंगे। वह लक्ष्य सामने है, पीछे नहीं चलेंग।मंजिल बहुत बड़ी है पर शाम ढल रही है,सरिता मुखीवों की आगे … Read more
मजदूर विश्व निर्माता है। संसार में उसके बिना विकास कार्य संभव नहीं है। मजदूर श्रम के पुजारी है। उन्हें मेरा नमन है।
इस रचना के माध्यम से कवि परिवार की महिमा को व्यक्त कर रहा है |
परिवार – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
परिवार के बिना इंसान का कोई वजूद नही है।
हर मनुष्य परिवार के लिए ही जीता और मरता है।
परिवार में मिलजुलकर रहने से हर कार्य सरलता से संपन्न हो जाता है।