कोरोना काल में परिचारिकाओं के लिए कविता – शिवांशी यादव

इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (नर्स लोगन के अंतर्राष्ट्रीय समीति) एह दिवस के 1965 से हर साल मनावेले। जनवरी 1974, से एकरा के मनावे के दिन 12 मई के चुनल गइल जवन की फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस हवे। फ्लोरेंस नाइटेंगल के आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक मानल जाला।

कोरोना वायरस
corona

कोरोना काल में परिचारिकाओं के लिए

मानव विज्ञान से पढी हुई।
हर वक़्त सेवा में खडी हुई।
पीड़ितों से जुड़ी हुई
ऐसी होती परिचारिका ।

लोगों की जान बचाएं।
परिवार को बचाएं।
खुद की जान खतरे में डालकर ।
अपने परिवार से दूर होकर।
चाहकर भी उनके पास ना जाकर
अपनों को बचाती परिचारिका।
पीड़ितों को अपना मानकर
उनका उपचार करती परिचारिका
ऐसी होती परिचारिका।

परिचारिका शब्द कर्त्तव्य से जोडता
अपना कर्तव्य निभाती परिचारिका
माँ-बाप की परी होती परिचारिका
पीड़ितों के लिए सहायिका बन जाती परिचारिका
ऐसी होती परिचारिका ।

पस और गन्दगी से लड़े-लड़े
पीड़ितों के लिए खड़े-खड़े
ऐसी होती परिचारिका ।
जिसे कहते सब सिस्टर
वही है सबकी प्रोटेक्टर
जिसे कहते सब परिचारिका
वही है सबकी उपचारिका
ऐसी होती परिचारिका ।।


नाम- शिवांशी यादव
उम्र-15

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

This Post Has 0 Comments

  1. वंशिका यादव अनुष्का (अनू)

    accha hai

  2. Anand

    परिचारिका के प्रति सुन्दर प्रस्तुति।

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