वो है अपना दाई परिचारिका – अकिल खान ( नर्स दिवस पर कविता)

इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस (नर्स लोगन के अंतर्राष्ट्रीय समीति) एह दिवस के 1965 से हर साल मनावेले। जनवरी 1974, से एकरा के मनावे के दिन 12 मई के चुनल गइल जवन की फ्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म दिवस हवे। फ्लोरेंस नाइटेंगल के आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक मानल जाला।

कविता संग्रह
कविता संग्रह

वो है अपना दाई परिचारिका – अकिल खान


बीमार लोगों का सहारा, अनाथों का सहारा,
छूत हो या अछूत हो, हर मरीज का है सहारा,
मरीजों को दवा के साथ साथ देती है टीका,
करे मरीजों का अथक सेवा वो है अपना दाई- परिचारिका।



माँ की ममता बहन की प्यार है जिसमें समाई,
दुर्गंध घाव और खून को देख जो कभी नही घबराई।
अस्पताल हो या युद्ध मैदान, सेवा में है जिसकी भूमिका,
करे मरीजों का अथक सेवा वो है अपना दाई- परिचारिका।


बेसुध लोगों का वो सुध लेती आई।
मरीजों के मन में सदा ढांढस बंधाई।
अस्पताल रूपी वन में हो वात्सल्य रूपी वाटिका,
करे मरीजों का अथक सेवा वो है अपना दाई- परिचारिका।


तेरा गुण तेरा कर्म है अकल्पनीय अद्वितीय जैसा,
तू मिशाल है , शामिल हैं कई धाय माँ और मदर टेरेसा।
अस्पताल में सभी समान , नहीं है भेद किसी काले या गोरे का,
करे मरीजों का अथक सेवा वो है अपना दाई- परिचारिका।।


अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ. ग.)

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *