Author: कविता बहार

  • कोरोना कइसे भागही – महदीप जंघेल

    कोरोना कइसे भागही – महदीप जंघेल

    दारू भट्ठी में भीड़ ल देखके,
    मोला लगथे अकबकासी।
    कोरोना बेरा मा अइसन हालत ले,
    लगथे अब्बड़ कलबलासी।

    बिहनिया ले कतार म ठाढ़ होके,
    घाम पियास म अइंठत हे,
    सियनहीन गाय सरी ठाढ़े-ठाढ़े ,
    हफरत लाहकत हे।

    धरे पइसा,लपेटे मुहूँ मा गमछा,
    अगोरा मा खड़े हवय।
    कोरोना ल भुलागे,एक ठन काबर,
    दू ठन बर धरे हवय।

    नशाखोरी के फेर म पड़ के,
    कोरोना असन बीमारी ल भुलागे।
    अइसे झपावत हे जइसे,
    कोरोना के दवई ल पागे।

    संगी हो अइसने में हमर देश ले ,
    कोरोना कइसे भागही।
    कोन जनि अइसन अनचेतहा मन के,
    अंतस ह कब जागही।

    बड़े- बड़े बलशाली देश के गति ल,
    देख के थोरको समझ जाहु।
    दुरिहा-दुरिहा रेहेअउ मास्क लगाये बर
    एक्को झन भुलाहु।

    कोरोना जइसन जीवलेवा रोग ला ,
    खेलवना झन बनाहु।
    नइ त अपन जिनगी ल ,
    दुबारा नइ देख पाहु।

    एक दूसर ले दूरी बनाके रखव,
    दुरिहा ले गोठियावव,
    मास्क लगाके निकलो घर ले,
    साबुन से बार -बार हाथ धोवव,

    सुरता रखव जम्मो बात के,
    रखव साफ सफाई आसपास।
    कोरोना सिरतोन मा भागही,
    अपन सुरक्षा अपने हाथ।

    जय जोहार……

    ✍️रचनाकार
    महदीप जंघेल
    निवास ग्राम-खमतराई
    तहसील-खैरागढ़
    जिला-राजनांदगांव(छ.ग)

  • एक अकेले मदन मोहन

    एक अकेले मदन मोहन

    कुछ  लोग होते हैं, जो महान होते हैं, महात्मा कहलाते हैं,

    कुछ लोग होते हैं, जो पवित्र होते हैं, शुद्धात्मा कहलाते हैं 

    कुछ लोग होते हैं देवतुल्य, जो देवात्मा कहलाते हैं 

    पर महामना हैं केवल एक, जहां अनेक में एक पुण्यात्मा हम पाते हैं 

    न पहले ना बाद में किसी का, महामना उपाधि से हुआ मनोनयन

                   एक अकेले मदन मोहन

    25 दिसंबर है दिवस ईशा का, दुनिया मानती यह पावन त्यौहार

    एक और महामानव अटल जी का, यह दिवस करता इंतजार 

    इन दोनों महान आत्माओं के दिवस पर ही, महामना ने लिया अवतार

    कुछ तो बात है 25 दिसंबर में, दिवस एक, पर तीन हम पर किए उपकार 

    हम याद करें तीनों को, तीनों ही है पवित्र संबोधन

                   पर एक अकेले मदन मोहन

     आज बात सिर्फ महामना की, जिन के कार्यो ने उन्हें बनाया महान 

    एक जन्म में जितनी उपलब्धियां, असंभव गिनाना सबके नाम

    वकील, राजनेता, पत्रकार, कवि, समाज सुधारक , यानि काम अनेक, अकेली जान 

    कई समाचार पत्रों का संपादन, कई संस्थाओं की स्थापना और मातृभाषा के उत्थान में योगदान

     एक जन्म में ही जी गये दर्जनों जीवन 

                    एक अकेले मदन मोहन

    मुश्किल है बयां करना, महामना के सारे काम 

    फिर भी कुछ महत्वपूर्ण कामों का, क्रमशः मै करता हूं बखान

    काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना, युवाओं को साबित हुआ वरदान 

    हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान के गौरव ज्ञान से, बढ़ाया उनका आत्मसम्मान 

    हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए, भारतेंदु के बाद आता है नाम

    “मकरंद” नाम से कविताएं लिखी राष्ट्र चेतना की, छिपाकर अंग्रेजों से अपनी पहचान 

    चार बार अध्यक्ष बनकर कांग्रेस का, कांग्रेस पर ही किया एहसान

    प्रेरणादायी था जीवन आपका, अंतिम समय तक करते रहे व्यायाम 

    रौलट एक्ट के विरुद्ध 5 घंटे की बहस, खड़े होकर की अविराम

    प्रति स्थापित किए कई संगठन देश में, जिन ने बढ़ाया देश का मान 

    हरिद्वार ऋषि कुल, गोरक्षा, बॉयज स्काउट और आयुर्वेद के संस्थान 

    स्वतंत्रता के बाद भी इन कार्यों का, किया जाता रहा अनुमोदन 

                  एक अकेले मदन मोहन

    सरकार समर्थक पायोनियर के विरुद्ध, लीडर नाम से निकाला अखबार 

    संपादन कर हिंदुस्तान पेपर का, राष्ट्रीय चेतना को दिया निखार

    चोरी चोरा के असफल अवसाद को मिटाने, देशभर में घूमे लगातार

    केस लड़े चोरी चोरा अभियुक्तों का, 170 को फांसी चाहती थी अंग्रेज सरकार 

    151 को बरी करा कर, दुनिया को दिखाई वकालत की धार 

    कट्टर हिंदू थे पर छुआछूत विरोध में, अंध सवर्णों से भी हुई तकरार

    जितनी भी थी कुप्रथाऐं देश में, सब पर बेबाकी से किया प्रहार

    राजनीति के दो नरम और गरम दलों में, खिंचती रहती थी तलवार

    दोनों के मध्य कड़ी बनकर संतुलन की, संघर्ष मिटाया कई कई बार

    मल्टीटैलेंट कहे या बहुमुखी प्रतिभा, फीके सारे उद्बोधन 

                 एक अकेले मदन मोहन

  • वन्दे मातरम् – बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय

    वन्दे मातरम् – बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय

    वन्दे मातरम्
    सुजलां सुफलाम्
    मलयजशीतलाम्
    शस्यशामलाम्
    मातरम्।

    शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
    फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
    सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
    सुखदां वरदां मातरम्॥१॥
    वन्दे मातरम्।

    सप्त-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
    कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
    अबला केन मा एत बले।
    बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
    रिपुदलवारिणीं मातरम्॥२॥
    वन्दे मातरम्।

    तुमि विद्या, तुमि धर्म
    तुमि हृदि, तुमि मर्म
    त्वम् हि प्राणा: शरीरे
    बाहुते तुमि मा शक्ति,
    हृदये तुमि मा भक्ति,
    तोमारई प्रतिमा गडि
    मन्दिरे-मन्दिरे

    त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
    कमला कमलदलविहारिणी
    वाणी विद्यादायिनी,
    नमामि त्वाम्
    नमामि कमलाम्
    अमलां अतुलाम्
    सुजलां सुफलाम् मातरम्॥४॥
    वन्दे मातरम्।

    श्यामलाम् सरलाम्
    सुस्मिताम् भूषिताम्
    धरणीं भरणीं मातरम्॥५॥
    वन्दे मातरम्॥

    बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय

  • ऊर्जा संरक्षण पर कविता-महदीप जंघेल

    ऊर्जा संरक्षण पर कविता – महदीप जंघेल

    आओ मिलकर ऊर्जा दिवस मनाएँ।
    ऊर्जा की बचत का महत्व समझाएँ।।

    टीवी,पंखा,कूलर,बल्ब में ऊर्जा बचाएँ।
    आवश्यकता हो तभी, इसे उपयोग में लाएँ।।

    कच्चे तेल,कोयला,गैस की ,
    मांग निरन्तर बढ़ रही है।
    अंधाधुंध उपभोग से ,
    प्राकृतिक संसाधन घट रही है।

    ऊर्जा उपयोग कम करने का,
    लाभ जन-जन को बतलाएँ।
    भविष्य में उपयोग कैसे हो,
    महत्व इसका समझाएँ।।

    वर्तमान में ऊर्जा बचाकर ,
    इसमें ही जीवन चलाएँगे।
    भविष्य में नौनिहालों का ,
    जीवन खुशहाल बनाएँगे।

    ऊर्जा संरक्षण में सभी मिलकर,
    करें कुछ अच्छे काम।
    करें प्रेरित सबको बचत ऊर्जा का,
    हो अपने देश का रौशन नाम।।

    आओ मिलकर ऊर्जा दिवस मनाएँ।
    ऊर्जा संरक्षण में जनजागरूकता लाएँ।

    सन्देश- ऊर्जा की बचत करें,
    एवं दूसरों को प्रेरित करें।

    ✍️रचनाकार – महदीप जंघेल
    निवास ग्राम- खमतराई
    तहसील- खैरागढ़
    जिला-राजनांदगांव(छ.ग)

  • शिव स्तुति – केंवरा यदु मीरा

    प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

    शिव स्तुति – केंवरा यदु मीरा


    चौपाई छंद


    जय जय जय भोले त्रिपुरारी ।
    तुमहो भक्तों के दुख हारी।।
    माथे चंदा सिर पर गंगा ।
    गल पे सोहे हार भुजंगा।।

    सँग में सोहे गौरी माता ।
    तुमहो सबके भाग्य धाता।।
    कहलाते भोले भंडारी ।
    तुमहो प्रभु त्रिपदा भय हारी।।

    भूत प्रेत के तुम हो स्वामी।
    जगत नियंता अंतर्यामी ।।
    करते हो तुम बैल सवारी।
    तीन नेत्र की महिमा भारी।।

    डमरू धर तुम हो कैलाशी।
    निरंकार हो तुम अविनाशी।।
    महादेव कालों के काला।
    मीरा के प्रभु तुम रखवाला ।।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम