दीपक हो उदास-माधवी गणवीर
दीपक हो उदास गर दीपक हो उदास तो दीप कैसे जलाऊ……उन्यासी बरस की आजादी काक्या हाल हुआ उनकी बर्बादी का,सत्ता के लुटेरे देखे,बेरोजगारी की बार झेलेभष्ट्राचारी, लाचारी,भुखमरी का,क्या अब राग सुनाऊ…..दीप कैसे जलाऊ।अपने ही करते आएअपनो पर आहत,लाख करू जतन मिलती नही राहतकैसे…