शांति पर कविता -नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
शांति पर कविता हम कैसे लोग हैंकहते हैं—हमें ये नहीं करना चाहिएऔर वही करते हैंवही करने के लिए सोचते हैंआने वाली हमारी पीढियां भीवही करने के लिए ख़्वाहिशमंद रहती हैजैसे नशाजैसे झूठजैसे अश्लील विचार और सेक्सजैसे ईर्ष्या-द्वेषजैसे युद्ध और हत्याएंऐसे ही और कई-कई वर्जनाओं की चाह हम नकार की संस्कृति में पैदा हुए हैंहमें नकार सीखाया … Read more