आत्महंता का अधिकार -आर आर साहू

आत्महंता का अधिकार जहाँ सत्य भाषण से पड़ जाता संकट में जीवन।वहाँ कठिन है कह पाना कवि की कविता का दर्शन।। गुरु सत्ता पे शासन की सत्ता जब होती हावी।वहाँ जीत जाता अधर्म,धर्म की हानि अवश्यंभावी।। जो दरिद्र है,वही द्रोण की समझ सकेगा पीड़ा।मजबूरी पर क्रूर नियति की व्यंग्यबाण की क्रीड़ा।। राजा हो धृतराष्ट्र,चेतना गांधारी … Read more

आर आर साहू-भावभरे दोहे

भावभरे दोहे प्रकृति प्रदत्त शरीर में,नर-नारी का द्वैत।प्रेमावस्था में सदा,है अस्तित्व अद्वैत।। पावन व्रत करते नहीं,कभी किसी को बाध्य।व्रत में आराधक वही, और वही आराध्य ।। परम्पराएँ भी वहाँ,हो जाती निष्प्राण।जहाँ कैद बाजार में,हैं रिश्तों के प्राण।। एक हृदय से साँस ले, प्रियतम-प्रिया पवित्र।श्रद्धा से विश्वास का,दिव्य सुगंधित इत्र।। भाव सोच अवधारणा,होते शब्द प्रतीक।देश काल … Read more

मानवता पर कविता -भुवन बिष्ट

      मानवता पर कविता पावन मानवता का संगम,           हो नव आशाओं का संचार। नई सोच व नई उमंग से,             मानवता की हो जयकार।।  प्रभु नित नित वंदन करूँ जयकार।।……   प्रेम भाव का दीप जले,              हो हर मन में उजियारा। सारे जग … Read more

मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा-बाँके बिहारी बरबीगहीया

मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा सुबह सवेरे घर से भाग जाना पेड़ की टहनी से गुल्ली डंडा बनाना अमीरी -गरीबी ना छूत अछूत सबके निश्छल हृदय मिल के रहना खाना कितना सुख चैन था ना थी कोई निराशा मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा ।। छोटी सी गुल्ली से घूची बनाना गुल्ली डंडा के खेल में चूक जाना टाँड़ … Read more

न आंसू न आहें न कोई गिला है-नीतू ठाकुर

न आंसू न आहें न कोई गिला है न आंसू ,न आहें,न कोई गिला है,लिखा भाग्य में जो वही तो मिला है,पुकारूँ किसे पूछती है हथेली,कभी जो दिया था उसी का सिला है। उजाड़ा गया बाग ऐसे हमारा,कभी जो बना था सभी का सहारा,सता के मुझे मुस्कुराए जमाना,कभी जो खिला ना वही तो खिला है। … Read more