मैं हूं एक लेखनी-शशिकला कठोलिया

मैं हूं एक लेखनी

मैं हूं एक लेखनी ,
क्यों मुझे नहीं जानता ,
निरादर किया जिसने ,
जग में नहीं महानता।
जिसने मुझे अपनाया ,
हुआ वह बड़ा विद्वान ,
जिसने किया आदर ,
मिला यश और सम्मान ,
मेरे ही द्वारा हुआ ,
रचना महाभारत रामायण ,
साहित्यो का हुआ विमोचन ,
ज्ञान विज्ञान का लेखन ,
देश में हुए वृहद कार्य, 
मेरे ही भरोसे बल पर ,
हुआ संविधान लेखन ,
मेरे ही दम पर ,
बने नेता शिक्षक ,
बने डॉक्टर इंजीनियर ,
मेरा ही प्रयोग कर ,
बना वह कलेक्टर ,
आधुनिक युग में ,
नाम मिला मुझे बाल पेन ,
बना रूप मेरा आकर्षक ,
कोई कहता मुझे फाउंटेन ।

श्रीमती शशिकला कठोलिया, शिक्षिका, अमलीडीह पोस्ट -रूदगांव ,डोंगरगांव, जिला-राजनांदगांव छ ग
मो न 9340883488
        9424111041
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कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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