सुलोचना परमार उत्तरांचली की कविता
सुलोचना परमार उत्तरांचली की कविता तो मैं क्या करूँ ? आज आसमाँ भी रोया मेरे हाल परऔर अश्कों से दामन भिगोता रहा,वो तो पहलू से दिल मेरा लेकर गयेऔर मुड़कर न देखा तो मैं क्या करूँ ? उनकी यादें छमाछम…
सुलोचना परमार उत्तरांचली की कविता तो मैं क्या करूँ ? आज आसमाँ भी रोया मेरे हाल परऔर अश्कों से दामन भिगोता रहा,वो तो पहलू से दिल मेरा लेकर गयेऔर मुड़कर न देखा तो मैं क्या करूँ ? उनकी यादें छमाछम…
स्वच्छता पर कुंडलिया घर घर में अब देश के, मने स्वच्छता पर्व।दूर करें सब गंदगी, खुद पर तब हो गर्व।खुद पर तब हो गर्व, न कोई कोना छोड़ें।बदलें आदत सर्व, समय का अब रुख मोड़ें।नद नालें हो साफ, बहे जल…
प्लास्टिक मिटा देंगे हम दुनिया से प्लास्टिक मिटा देंगे हम. हम तुम सनम चलो खाले कसम |दुनिया से प्लास्टिक मिटा देंगे हम | ये गलता नही मिट्टी मे मिलता नही |खाती गाये पेट उनके पचता नहीं | मरती गायों को मिल…
“मदारी” बँदरिया प्यारी, एक मदारी, लेकर आया|तन लटा, कपड़े फटे, पेट धँसा, फिर भी, जबर्दस्ती मुस्कराया||जेठ का महीना, …
गरीबी का दर्द क्या दर्द देखेगी दुनिया तेरीसुख गया है आंखों के पानीरिमझिम बारिश की फुहार मेंसमेट रखा है आंचल मेंगरीब तेरी कहानी कोउपहास बनायेगी ये दुनियातू कल भी फुटपाथ पर थाआज भी तेरी यही कहानी हैगरीब था तू गरीब…