कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

हिमा नजर आ रही है-सुरेन्द्र सैनी

हिमा नजर आ रही है हिम्मत तेरे हौसले मेंहिमा नजर आ रही हैदेश के तिरंगे का क्या खूब मान बढ़ा रही है उड़नपरी बन कर क्या खूब दौड़ लगाईचटा के धूल सबकोगोल्ड तू ले आई तेरा कद भी हिमा हिमालय से बडा हैदेश…

तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है -बाँके बिहारी बरबीगहीया

तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है तू सम्भल जा अब भी वक्त ये तुम्हारा है समझो इस जीवन को ये तो बहती धारा है। प्यार इजहार के लिए वक्त यूँ जाया न कर वक्त के साथ ये तो डूबता…

रास नहीं क्यों आता है-राजकिशोर धिरही

रास नहीं क्यों आता है शौचालय का अभियान चला,वंचित घर रह जाता है।बाहर जाते बच्चे उनके,रास नहीं क्यों आता है जाति भेद को करते रहते,जलते रहते बढ़ने सेटाँग अड़ाते फिरते रहते,रोका करते पढ़ने से चाँद पर जा रही है दुनिया,बैरी…

आसाम प्रदेश पर आधारित दोहे-सुचिता अग्रवाल “सुचिसंदीप”

आसाम प्रदेश पर आधारित दोहे ब्रह्मपुत्र की गोद में,बसा हुआ आसाम। प्रथम किरण रवि की पड़े,वो कामाख्या धाम।।  हरे-हरे बागान से,उन्नति करे प्रदेश। खिला प्रकृति सौंदर्य से,आसामी परिवेश।। धरती शंकरदेव की,लाचित का ये देश। कनकलता की वीरता,ऐसा असम प्रदेश।। ऐरी…

प्रीत के रंग में-राजेश पाण्डेय *अब्र*

प्रीत के रंग में गुनगुनाती हैं हवाएँमहमहाती हैं फ़िजाएँझूम उठता है गगन फिरखुश हुई हैं हर दिशाएँ                  प्रीत के रंग में                  मीत के संग…