सेवा का संरक्षण- दिलीप कुमार पाठक “सरस”
है झुकी डाल फल फूल फली,मुस्कानें लख-लख लहरातीं | था एक बीज जो वृक्ष बना, बरसातें उसको नहलातीं|| माटी पाकर आया बचपन,सेवा का संरक्षण पाया| लकड़ी पत्ती फल फूल कली, है सेवा की सिर पर छाया|| गुरु मातु पिता का संरक्षण, हम सबने ही कल पाया था| जिनके अपने श्रम के बल पर, कल अंकुर बन मुस्काया था|| कुछ … Read more