सेवा का संरक्षण- दिलीप कुमार पाठक “सरस”

है झुकी डाल फल फूल फली,मुस्कानें लख-लख लहरातीं | था एक बीज जो वृक्ष बना, बरसातें उसको नहलातीं|| माटी पाकर आया बचपन,सेवा का संरक्षण पाया| लकड़ी पत्ती फल फूल कली, है सेवा की सिर पर छाया|| गुरु मातु पिता का संरक्षण, हम सबने ही कल पाया था| जिनके अपने श्रम के बल पर, कल अंकुर बन मुस्काया था|| कुछ … Read more

निषादराज के दोहे

*निषादराज के दोहे (1) संसारकितना प्यारा देख लो,ये अपना संसार।स्वर्ग बराबर हैं लगे,गाँव-शहर वनद्वार।। (2) समयसमय बड़ा अनमोल है,कीमत समझो यार।समय बीत जब जायगा,फँसो नहीं मझधार।। (3) गतिअपनी गति में काम को,करना अच्छा यार।तभी सफलता हैं मिले,उन्नति  घर संसार।। (4) जीवनजीवन की इस राह पर,चलना कदम सम्हाल।आगे   पीछे   देखना, रहे  न  कोई   काल।। (5) मनमन … Read more

मेरे गांव का बरगद – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

village based Poem

मेरे गांव का बरगद  मेरे गाँव का बरगदआज भी वैसे ही खड़ा हैजैसे बचपन में देखा करता थाजब से मैंने होश संभाला हैअविचलवैसे ही पाया है हम बचपन में उनकी लटों से झूला करते थेउनकी मोटी-मोटी शाखाओंके इर्द-गिर्द छुप जाया करते थेधूप हो या बारिशउसके नीचेघर-सानिश्चिंत होते थे  तब हम लड़खड़ाते थेअब खड़े हो गएतब हम बच्चे थेअब बड़े हो गएतब हम तुतलाते … Read more

जीवन रुपी रेलगाड़ी – सावित्री मिश्रा

जीवन रुपी रेलगाड़ी कभी लगता है जीवन एक खेल है,कभी लगता है जीवन एक जेल है।पर  मुझे लगता है कि ये जीवनदो पटरियों पर दौड़ती रेल है।भगवान ने जीवन रुपी रेल काजितनी साँसों का टिकट दिया है,उससे आगे किसी ने सफर नहीं कियासुख और दुख जीवन की दो पटरियाँ,शरीर के अंग जीवन रुपी रेल के … Read more

तुम्हारे होने का अहसास

तुम्हारे होने का अहसास तुम आसपास नहीं होतेमगर आसपास होते हैंतम्हारे होने का अहसासमन -मस्तिष्क में संचिततुम्हारी आवाजतुम्हारी छविअक़्सरहूबहूवैसी-हीबाहर सुनाई देती हैदिखाई देती हैतत्क्षणतुम्हारे होने के अहसास से भर जाता हूँधड़क जाता हूँकई बार खिड़की के पर्दे हटाकरबाहर देखने लग जाता हूँयह सच है कि तुम नहीं होतेपरपलभर के लिएतुम्हारे होने जैसा लग जाता हैलोगों ने बतायायह अमूमन सब के … Read more