कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

यह पतन का पाशविक उत्थान /रेखराम साहू

     यह पतन का पाशविक उत्थान है शीर्ष से आहत हुआ सोपान है,भूमिका का घोर यह अपमान है। झुर्रियों का जाल है जो भाल पर,काल से संघर्ष का आख्यान है। पारितोषिक में अनाथालय उसे,उम्र भर जिसने किया बलिदान है। युद्ध…

हमर का के नवा साल !/ राजकुमार ‘मसखरे’

*हमर का के नवा साल !* हमर का के नवा साल….उही दिन-बादर,उही हालहमर का के नवा साल…. बैंक  म  करजा  ह  माढ़े  हेसाहूकार  दुवारी  म  ठाढ़े हेये रोज गारी,तगादा देवत हेदिनों दिन हमर खस्ता हालहमर का के नवा साल…..! नेता …

नया साल ख़ास / अकिल खान

             नया साल ख़ास वक्त के साथ दिन-महीने,और बदल गए साल,निरंतर आगे बढ़ना है,यही है समय की चाल।मेहनत से हम सबको कुछ पाने की है,आश,यही है उम्मीद सभी का हो,नया साल ख़ास। नूतन वर्ष 2025 का,किजीए सभी इस्तकबाल,विनम्रता से बनाईए…

दरूहा सरकार पर कविता/ बिसेन कुमार यादव’बिसु’

दरूहा सरकार। कोन किथे निपोर मन,इहा राम राज्य आवत हे।राम राज्य नई मोर भाई,दरुहा राज्य बनावत हे छत्तीसगढ़ के मनखे मन ला,अऊ दारू पिये बर सिखावत हे।सरकार हा खुदे जनता मन ला, मनपसंद दारू पियावत हे। सरकार हा मोबाइल फोन…

गृहलक्ष्मी पर कविता/ डॉ नीतू दाधीच व्यास

तुम आओगी क्या? मैं तुम्हें अपनी गृहलक्ष्मी बनाऊंगा,तुम आओगी क्या?बस तुम संग एक छोटा सा संसार बसाऊंगा,तुम आओगी क्या? नहीं लाऊंगा तोड़कर कोई चाँद – तारें,न ही जुगनू से रोशनी कराऊंगा।मैं तो तुम्हारे हाथों से ही, घर के मंदिर में…