"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।
भारत सब से न्यारा दुलारा भारत तु जग से न्यारा, सब से तु है दुलारा,मस्तक तुझे झुकाएँ, तेरे ही गीत गाएँ।। सन सैंतालिस मास अगस्त था, तारिख पन्द्रह प्यारी,आज़ादी जब हमें मिली थी, भोर अज़ब वो न्यारी।चारों तरफ खुशी थी, छायी हुई हँसी थी,ये पर्व हम मनाएँ, तेरे ही गीत गाएँ।। आज़ादी के नभ का … Read more
दहेज दानव ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया।ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है,ससुराल जाने से कन्या का इंकार है,क्यों नवविवाहितों को स्टोव जला गया।। बिकने को तैयार लड़के हर तरह से,मांगें मोटर कार अड़के हर तरह से,हर नौजवान अपना मोल लिखा गया।। चाहिए माल साथ में … Read more
पुलिस मेरे शहर की अपनी पर आ जाए तोमुर्दों से भी उगलवाती हैजटिल से जटिल मामलायूं मिनटों में निपटाती हैपुलिस मेरे शहर की|| सुस्ती और लापरवाही मेंकितने मामले दबाती हैचाय – पानी के बगैर येमहीनों भर लटकाती हैपुलिस मेरे शहर की|| मामला कुछ और होएउसे और कुछ ही बनाती हैसीधे -साधे मामलों को भीबे वजह … Read more
नहीं लेता सीख इंसान इनसे जाने क्यों? एक क्यारी मेंअनेक हैं पेड़-पौधेअलग-अलग हैंजिनकी नस्लअलग-अलग हैं गुणअलग-अलग हैं रंग-रूपफिर भीनहीं करते नफरतएक-दूसरे सेनहीं है इनमेंभेदभाव की भावनानहीं मानते किसी कोछोटा या बड़ानहीं है इनमें रंग-भेद हवा की धुन परथिरकते हैं सबएक लय मेंएक ताल मेंखिल जाते हैंसबके चेहरेबरसात मेंकितना है सदभावनहीं लेता सीखइंसान इनसेजाने क्यों? -विनोद … Read more