कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

वृक्ष कोई मत काटे

वृक्ष कोई मत काटे काटे जब हम पेड़ को,कैसे पावे छाँव।कब्र दिखे अपनी धरा,उजड़े उजड़े गाँव।।उजड़े उजड़े गाँव,दूर हरियाली भागे।पर्यावरण खराब,देख मानव कब जागे।।उपवन को मत काट,कमी को हम मिल पाटे।ऑक्सीजन से जान,वृक्ष कोई मत काटे।। देते ठंडक जो हमे,करते…

विश्व पर्यावरण दिवस पर दोहे

save tree save earth

विश्व पर्यावरण दिवस पर दोहे सरिता अविरल बह रही, पावन निर्मल धार ।मूक बनी अविचल चले, सहती रहती वार ।। हरी-भरी वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार ।बनी रहे जल शुद्धता, धुलते सकल विकार ।। नदियाँ है संजीवनी, रखलो इनको साफ…

प्रकृति मातृ नमन तुम्हें

प्रकृति मातृ नमन तुम्हें हे! जगत जननी,             हे! भू वर्णी….हे! आदि-अनंत,            हे! जीव धर्णी।हे! प्रकृति मातृ नमन तुम्हेंहे! थलाकृति…हे! जलाकृति,हे! पाताल करणी,हे! नभ गढ़णी।हे! विशाल पर्वत,हे! हिमाकरणी,हे! मातृ जीव प्रवाह वायु भरणी।हे! प्रकृति मातृ नमन तुम्हेतू धानी है,वरदानी है..तुझे ही…

कुछ तोड़ें कुछ जोड़ें

कुछ तोड़ें कुछ जोड़ें चलोआज कुछरिश्ते तोड़ें,चलोंआज कुछरिश्तें जोड़ें…..!प्लास्टिक,पॉलीथीनबने अंग जो जीवन केइनसे नाता तोड़ें,जहाँ-तहाँकचरा फेंकना,नदियों का पानीदूषित करनाइस आदत को भी छोड़ें…!!अलग-अलग हो कचराजैविक और अजैविकहर घर में खुदाएक गड्ढा होसब गीला कचराउसमें पड़ता होउससे जैविक खाद बनायेंजैविक खाद…

गर्मी बनी बड़ी दुखदाई

गर्मी बनी बड़ी दुखदाई ताल-तलैया नदियाँ झरनें,कुँआ बावली सब सूख गए।महि अंबर पर त्राहिमाम है,जीवन संकट अब विकट भए ।। तपती धरती कहती हमको,अतिशय दोहन अब बंद करो।हरा-भरा आच्छादित वन हो,तुम ऐसा उचित प्रबंध करो ।। ~कविता बहार से जुड़ने…