कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

रोज ही देखता हूँ सूरज को ढलते हुए

रोज ही देखता हूँ सूरज को ढलते हुए दरख्त रोज ही देखता हूँसूरज को ढलते हुए!फिर अगली सुबह ,निकल आता है मुस्कुराकर!नयी उम्मीद और विश्वास लिए,मेरे पास अब उम्मीद भी नहीं बचीमेरे सारे पत्तों की तरह!सपने टूटने लगते हैंजब देखता…

बसन्त और पलाश

बसन्त और पलाश दहके झूम पलाश सब, रतनारे हों आज।मानो खेलन फाग को, आया है ऋतुराज।आया है ऋतुराज, चाव में मोद मनाता।संग खेलने फाग, वधू सी प्रकृति सजाता।लता वृक्ष सब आज, नये पल्लव पा महके।लख बसन्त का साज, हृदय रसिकों…

तुम्हारे प्यार में कब-कब बिखरा नहीं हूँ मैं

तुम्हारे प्यार में कब-कब बिखरा नहीं हूँ मैं नैनों की झील में इश्क़ का पतवार लियेकौन कहता है कि कभी उतरा नहीं हूँ मैं ?बिखरा तो बहुत हूँ ज़िंदगी के जद्दोजहद मेंतुम्हारे प्यार में कब-कब बिखरा नहीं हूँ मैं ?तब…

माँ कुष्माण्डा पर कविता

माँ कुष्माण्डा पर कविता सूर्य मंडल में बसी,अलौकिक कांति भरी,शक्ति पूँज माँ कुष्माण्डा,तम हर लीजिए।अण्ड रूप में ब्रम्हाण्ड,सृजन कर अखण्ड,जग जननी कुष्माण्डा,प्राण दान दीजिए।दुष्ट खल संहारिनी,अमृत घट स्वामिनी,आरोग्य प्रदान कर, रुग्ण दूर कीजिए।शंख चक्र पद्म गदा,स्नेह बरसाती सदा,सृष्टि दात्री माता…

कटुक वचन है ज़हर सम

कटुक वचन है ज़हर सम वाणी ही है खींचती भला बुरा छवि चित्रवाणी से बैरी बने वाणी से ही मित्रसंयम राखिए वाणी पर वाणी है अनमोलनिकसत है इक बार तो विष रस देती घोल। कटुक वचन है ज़हर सम मीठे…