छत्तीसगढ़ी संस्कृति

छत्तीसगढ़ी संस्कृति दक्षिण कोशल के बीहड़ वन मेंसाल, सागौन की है भरमारसतपुड़ा पठार शोभित उत्तर मेंमध्य है महानदी बस्तर पठारदेखो छत्तीसगढ़ की छटा मनोहरचलो करें हम वन विहार ।।      है छत्तीसगढ़ का खेल ये अनुपम     फुगड़ी,लंगड़ी,अटकन-बटकन      कैलाश गुफा, बमलेश्वरी मंदिर का      देख नजारा खो जाता है मन     ऐसे भव्य प्रदेश में आकर     बाँटू  सभी … Read more

सर्दी मौसम पर कविता

सर्दी मौसम पर कविता वो जाड़े की रात, ओस की बरसात,वो दिन का कुहासा, पढ़ने की आशा,बासंती पवन, मस्त होता है मन,वो ताजी हवाएं ,ये महकी फिजायेंबहुत खूब भाता है सर्दी का मौसम ।। सर्द जाड़े की आग, मालकौस की राग,वो धान की कटनी , पुदीने की चटनी,वो सरसों का साग, ठंड रातों का आग,वो … Read more

नवजीवन पर कविता

बरवै छंद, चार चरण
मात्रिक अर्धसम छंद
विषम चरण12 मात्रा
सम चरण ,7 मात्रा।

मेरी पलकें नमाज़ी हुई

मेरी पलकें नमाज़ी हुई मेरी  पलकें  नमाज़ी  हुई  तेरे  दीदार  सेनूर बरसता है यूँ पाक़  तेरे रुख़सार से ।मुजस्सिम ग़ज़ल हो मेरी, उम्र की ताजमहल काबेयक़ीन  हुआ  नहीं  मैं  इश्क़  में  ऐतबार  से ।गोया  कि  तुम  मेरे हाथ  की लकीर हो या रबहाथ  होता  नहीं  तो  क्या  होता जाँ निसार से ।मसरूफ़ियत  में  भी  हमने  … Read more

सूरज का है आमंत्रण

सूरज का है आमंत्रण अंधेरों से बाहर आओ,सूरज का है आमंत्रण!बिखरो न यादों के संग,बढ़ो,लिए विश्वासी मन!अतीत के पन्नों पर नूतन,गीत गज़ल का करो सृजन!भीगी आंखों को धोकर,भर लो अब तुम नवजीवन!खुशियों को कर दो ‘अर्पण’,जियो औरों की ‘प्रेरणा’बन!! -डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’