तुम फूल नहीं बन सकती
तुम फूल नहीं बन सकती कलतुम गुल थी,गुलाब थी,एक हसीन ख्व़ाब थी।हर कोईदेखना चाहता था तुम्हें !हर कोई….छूना चाहता था तुम्हें !!कल तकपुरुष ने तुम्हेंकेवल कुचोंऔर नितम्बों केआकार में देखा..तुमकेवल वस्तु मात्र थी,उसकेउत्तुंग-विलास मेंछलछलातीमधु-पात्र थी ।तुम शाश्वत थीकिंतुउस समाज मेंतुम्हारा…