बेचकर देखों मुझे जरा

बेचकर देखों मुझे जरा


पूछने से पहले जवाब बना लिये।
यार  सवाल तो गजब़ बना लिये।


किसी ने पूछा ही नहीं मैं जिंदा हूँ,
मगर तुम हसीन ख्वाब बना लिये।

और और,और कहते रहे गम को,
लो आशुओं का हिसाब बना लिये।


मेरी मिलकियत न रहीं वजूद मेरा,
समाज से कहों कसाब बना लिये।

सौ-सौ सवाल गोजे पे रसीद मार,
जला यों की आफताब बना लिये।


मेरे दर्द पर नमक भी छिंड़क दो,
हमनें जिंदगी को किताब बना लिये।

बड़ा घमंड़ है जातीय व्यवस्था पर,
तुम्हे क्या पता तेजाब बना लिये।


         ✍पुखराज यादव प्रॉज
                  महासमुन्द (छ.ग.)

                   9977330179

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *