बिटिया का सुख प्यारा
जग में सुंदर और सलोना,
रिश्ता है यह न्यारा।
प्यार जहां सरोबार बरसता,
बिटिया का सुख प्यारा।।
बेटी ::
मात पिता पर कभी भी कोई,
संकट है आ जाए।
दूर बैठ भी दुख को “बांटे,”
वह “बेटी” कहलाए।।
पुत्री ::
नहीं भरोसा आज किसी का,
बेटा हो या भाई।
“पूरी उतरे” बात पे अपनी,
“पुत्री” वही कहाई।।
तनया ::
मात-पिता से दूरी करना,
नहीं जिसे है आता।
“तन या मन” से जुड़ी रहे,
है ये “तनया” का नाता।।
सुता ::
कच्चे “सूत सा” ताना-बाना,
रहता हरदम घिसता।
ता-उम्र रहे जो सुंदरतम,
है वही “सुता” का रिश्ता।।
नंदिनी ::
नो दिन के नवरात्रि सी वो,
हर पल रहती पास।
ना रात को देखे,”ना ही दिन,”
“नंदिनी” नाता खास।।
आत्मजा ::
जहां आत्मिक आकर्षण और,
प्रीत है पाई जाती।
मात पिता से “जुड़े आत्मा,”
वही “आत्मजा” कहलाती।।
~~ शिवराज सिंह चौहान
नान्धा, रेवाड़ी
(हरियाणा)