भगत सिंह की याद में
टपक टपक के आंसुओं का दरिया बन गया
सितम गम का, समा भी गमगीन हो गया।
खामोशी बिखरी ,मुर्दों पर ढकी कफ़न लिए
पर कदम ना थके ना हिम्मत हारी वतन के लिए।
बढ़ते चले ,इंकलाब कहते चले ,अंग्रेजो की बर्बादी लिए
भारत भूमि में जन्मे, भगत सिंह दुश्मनों से हमें बचाने के लिए।
जन्म लिया पंजाब में अमर हुए लाहौर में क्रन्तिकारी बनकर।
चेतना का बीज बोया लोगो में ,अग्रेजों पे कहर बनकर।
कह के इंकलाब अपने सांसो का हिसाब कर गए।
आंखें नम करके सबकी, भारत मां को आजाद कर गए।
-दीपा कुशवाहा, अंबिकापुर
मै दीपा कुशवाहा अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ से कविता “भगत सिंह की याद में ” ये मेरी कविता है कृपया इसमें मेरा नाम जोड़ा जाए ।