भाई दूज पर कविताएँ : रक्षा बन्धन एक महत्वपूर्ण पर्व है। श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह ‘रक्षासूत्र’ मात्र धागे का एक टुकड़ा नहीं होता है, बल्कि इसकी महिमा अपरम्पार होती है।
कहा जाता है कि एक बार युधिष्ठिर ने सांसारिक संकटों से मुक्ति के लिये भगवान कृष्ण से उपाय पूछा तो कृष्ण ने उन्हें इंद्र और इंद्राणी की कथा सुनायी। कथा यह है कि लगातार राक्षसों से हारने के बाद इंद्र को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो गया। तब इंद्राणी ने श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन विधिपूर्वक तैयार रक्षाकवच को इंद्र के दाहिने हाथ में बांध दिया। इस रक्षाकवच में इतना अधिक प्रताप था कि इंद्र युद्ध में विजयी हुए। तब से इस पर्व को मनाने की प्रथा चल पड़ी।
भाई-बहन का रिश्ता न्यारा- दीप्ता नीमा
भाई-बहन का रिश्ता न्यारा
लगता है हम सबको प्यारा
भाई बहन सदा रहे पास
रहती है हम सभी की ये आस
इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।।1।।
भाई बहन को बहुत तंग करता है
पर प्यार भी बहुत उसी से करता है
बहन से प्यारा कोई दोस्त हो नहीं सकता
इतना प्यारा कोई बंधन हो नहीं सकता
इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।।2।।
बहन की दुआ में भाई शामिल होता है
तभी तो ये पाक रिश्ता मुकम्मिल होता है
अक्सर याद आता है वो जमाना
रिश्ता बचपन का वो हमारा पुराना
इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।।3।।
वो हमारा लड़ना और झगड़ना
वो रूठना और फिर मनाना
एक साथ अचानक खिलखिलाना
फिर मिलकर गाना नया कोई तराना
इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।।4।।
अपनी मस्ती के किस्से एक दूजे को सुनाना
माँ-पापा की डांट से एक दूजे को बचाना
सबसे छुपा कर एक दूजे को खाना खिलाना
बहुत खास होता है भाई-बहन का ये याराना
इस प्यार के बंधन पर सभी को नाज़।।5।।
दीप्ता नीमा
भाई दूज पर कविता
मैं डटा हूँ सीमा पर
बनकर पहरेदार।
कैसे आऊँ प्यारी बहना
मनाने त्यौहार।
याद आ रहा है बचपन
परिवार का अपनापन।
दीपों का वो उत्सव
मनाते थे शानदार।
भाई दूज पर मस्तक टीका
रोली चंदन वंदन।हम
इंतजार तुम्हें रहता था
मैं लाऊँ क्या उपहार?
प्यारी बहना मायूस न होना
देश को मेरी है जरूरत।
हम साथ जरूर होंगे
भाई दूज पर अगली बार।
कविता पढ़कर भर आयी
बहना तेरी अखियाँ।
रोना नहीं तुम पर
करता हूँ खबरदार।
चलो अब सो जाओ
करो नहीं खुद से तकरार।
सपना देखो, ख्वाब बुनो
सबेरा लेकर आयेगा शुभ समाचार ।
अनिता मंदिलवार सपना
अंबिकापुर सरगुजा छतीसगढ़
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