Category दिन विशेष कविता

ग्रहों पर कविता

ग्रहों पर कविता तुम जो हो जैसे होउतना ही होना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं लग रहा हैं तुम जो भी हो उसमें और ‘होने’ के लिएकुछ लोगों को और भी जोड़ना चाहते होबहुत सारे या अनगिनत व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व…

गरीबी पर कविता (17 अक्टूबर गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर कविता )

गरीबी पर कविता गरीबी तू इतना रूलाया न कर हमेंजो मर गये तो, कहाँ पे तेरा आसरा है?मज़ाक उड़ाया सबके सामने कुछ यूँवाह भाई! अमीरों सा तेरा भी नखरा है? ?मनीभाई नवरत्न छत्तीसगढ़ Post Views: 21

निर्भया न्याय दिवस पर कविता

निर्भया न्याय दिवस पर कविता सन् दो हजार बीस,बीस मार्च रहा अनुपम।स्वर्णिम दिन है आज,शांत मन तन है शुद्धम।हुई न्याय की जीत,निर्भया तेरी जय हो।दुराचार का अंत,सजा देना अब तय हो।सात साल के बाद में,फाँसी में झूले सभी।अब हो नहीं…

किसान खेत जोतते हुए

किसान की दशा पर कविता

किसान की दशा पर कविता देख तोर किसान के हालका होगे भगवान !कि मुड़ धर रोवए किसान,ये का दुख दे भगवान !! पर के जिनगी बड़ सवारें,अपन नई थोरको फिकर जी !बजर दुख उठाये तन म,लोहा बरोबर जिगर जी !!पंगपंगावत…

प्रेम दिवस पर कविता

प्रेम दिवस पर कविता चक्षुओं में मदिरा सी मदहोशीमुख पर कुसुम सी कोमलतातरूणाई जैसे उफनती तरंगिणीउर में मिलन की व्याकुलता जवां जिस्म की भीनी खुशबूकमरे का एकांत वातावरणप्रेम-पुलक होने लगा अंगों मेंजब हुआ परस्पर प्रेमालिंगन डूब गया तन प्रेम-पयोधि मेंतीव्र…

पवित्र प्रेम पर कविता

पवित्र प्रेम पर कविता रचनाकार- बाँके बिहारी बरबीगहीया राज्य -बरबीघा बिहार (पुनेसरा ) एक कपोत ने आकर हमसे कह डाले सब प्रेम की बात कुछ लिखो तुम स्वेत पत्र पे और लिखो कुछ अपनी याद मेरे गले में प्रेम पत्र…

मतदाता दिवस पर कविता

मतदाता दिवस पर कविता अच्छे नागरिक के कर्तव्य निभाए,राष्टीय मतदाता दिवस मनाए।मानव को जागरूक बनाए,नव मतदाता के नाम जुड़वाए। युवा पीढ़ी को आगे लाएं,स्वतंत्र रूप से वोट कराए।लोकतंत्र के पर्व मनाएं,शत प्रतिशत मतदान कराए। एक वोट भी रह न पाए,आओ…

mahapurush

वीर जवान पर कविता

वीर जवान पर कविता मान करे,सम्मान करे,वीर जवान का गुणगान करे,देश की सीमा मे रक्षा करते,हम सब मिलकर सम्मान करे। कश्मीर की सीमा मे तैनात है,हमारे वीर जवान,दुश्मनों की वार को,गोली से जवाब देते है। हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,ईसाई,सभी है भाई-भाई,देश के…

सुसंस्कृत मातृभाषा दिवस पर कविता

मातृभाषा दिवस पर कविता अपनी स्वरों में मुझको ‘साध’ लीजिए।मैं ‘मृदुला’, सरला, ले पग-पग आऊँगी।। हों गीत सृजित, लयबद्ध ‘ताल’ दीजिए।मधुरिमा, रस, छंद, सज-धज गाऊँगी।। सम्प्रेषित ‘भाव’ सतत समाहित कीजिए।अभिव्यंजित ‘माधुर्य’, रंग-बिरंगे लाऊँगी।‌। ‘मातृभाषा’ कर्णप्रिया, ‘सुसंस्कृत’ बोलिए।सर्व ‘हृदयस्थ’ रहूँ, ‘मान’…