by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
मौत से ठन गई / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी ठन गई!मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था,मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई। मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
दूध में दरार पड़ गई / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?भेद में अभेद खो गया।बँट गये शहीद, गीत कट गए,कलेजे में कटार दड़ गई।दूध में दरार पड़ गई। खेतों में बारूदी गंध,टूट गये नानक के छंदसतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।वसंत से बहार झड़...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
कौरव कौन कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी कौरव कौनकौन पांडव,टेढ़ा सवाल है|दोनों ओर शकुनिका फैलाकूटजाल है|धर्मराज ने छोड़ी नहींजुए की लत है|हर पंचायत मेंपांचालीअपमानित है|बिना कृष्ण केआजमहाभारत होना है,कोई राजा बने,रंक को तो रोना है| कौरव कौन, कौन...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
पंद्रह अगस्त की पुकार / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी पंद्रह अगस्त का दिन कहता:आज़ादी अभी अधूरी है।सपने सच होने बाकी है,रावी की शपथ न पूरी है॥ जिनकी लाशों पर पग धर करआज़ादी भारत में आई,वे अब तक हैं खानाबदोशग़म की काली बदली छाई॥ कलकत्ते के फुटपाथों परजो...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
हरी हरी दूब पर / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी हरी हरी दूब परओस की बूंदेअभी थी,अभी नहीं हैं|ऐसी खुशियाँजो हमेशा हमारा साथ देंकभी नहीं थी,कहीं नहीं हैं| क्काँयर की कोख सेफूटा बाल सूर्य,जब पूरब की गोद मेंपाँव फैलाने लगा,तो मेरी बगीची कापत्ता-पत्ता जगमगाने...
by कविता बहार | Jan 22, 2021 | लोकप्रिय हिंदी कविता
क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी बाधाएँ आती हैं आएँघिरें प्रलय की घोर घटाएँ,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,निज हाथों में हँसते-हँसते,आग लगाकर जलना होगा।क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,अगर असंख्यक...