Category विविध छंदबद्ध काव्य

अभाव-गुरु

अभाव-गुरु “उस वस्तु का नहीं होना” मैं,जरूरत सभी जन को जिसकी।प्रेरक वरदान विधाता का,सीढ़ी मैं सहज सफलता की।।1अभिशाप नहीं मैं सुन मानव,तेरी हत सोंच गिराती है।बस सोंच फ़तह करना हिमगिरि,यह सोंच सदैव जिताती है।।2वरदान और अभिशाप मुझेतेरे ही कर्म बनाते…

सीमा पर है जो खड़ा

सीमा पर है जो खड़ा                           सीमा पर है जो खड़ा ,                          अपना सीना तान ।उसके ही परित्याग से ,                         रक्षित  हिंदुस्तान ।।रक्षित    हिंदुस्तान ,                   याद कर सब कुरबानी ।करे शीश का दान ,                    हिंद का अद्भुत दानी ।।कह ननकी…

कर्म देवता

इस कविता के प्रत्येक चरण में 16 मात्रा वाले छंद का प्रयोग किया गया है:- मानव जीवन ईश्वर का रहस्यमय वरदान है।आज के मानव का एकमात्र उद्देश्य अति धन-संग्रह है,जिसके लिए वे अपनों का भी खून बहाने से नहीं हिचकते।वे…

कहें सच अभी वो जमाना नहीं है

कहें सच अभी वो जमाना नहीं है कहें सच अभी वो जमाना नहीं है।यहाँ सच किसी को पचाना नहीं है॥मिले जो अगर यूँ किसी को अँगाकर। खिला दो उसे तो पकाना नहीं है॥लगे लूटने सब निठल्ले यहाँ पर।उन्हें तो कमाना धमाना…

करना हो तो काम बहुत हैं

करना हो तो काम बहुत हैं नेकी के तो धाम बहुत हैंकरना हो तो काम बहुत हैं।सोच समझ रखे जो बेहतरउनके अपने नाम बहुत हैं।प्रेम रंग गहरा होता हैरंगों के आयाम बहुत हैं।गुण सम्पन्न बहुत होते हैंवैसे तो बदनाम बहुत…

समय -देवता

समय -देवता देव,दनुज,नाग,नर,यक्ष,सभीनित मेरी महिमा गाते हैं।सत्ता सबसे ऊपर मेरी,सब सादर सीस झुकाते हैं।।1 देव मैं महान शक्तिशाली,हूँ अजर,अमर,अविनाशी मैं।सर्वत्र मेरा ही शासन है,नित प्रवहमान एकदिशीय मैं।।2 मेरी प्रवाह के साथ-साथ,जो अपनी कदम बढ़ाते हैं।पुरुषार्थी,परिश्रमी जन ही,जीवन-फल लाभ उठाते हैं।।3…

परशुराम जयंती पर रचना

परशुराम जयंती पर रचना हे ! विष्णु के छठवें अवतारी, जगदग्नि रेणुका सुत प्यारे ।तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।भृगुवंशी हो तुम रामभद्रब्राम्हण कुल में तुम अवतारीतुम मात पिता के परम भक्तजाए तुम पर दुनिया…

प्यार का पहला खत पढ़ने को

प्यार का पहला खत पढ़ने को प्यार का पहला खत पढ़ने को* तड़पी है यारी आँखें,पिया मिलन की* चाह में अक्सर रोती है सारी आँखें। सुधबुध खोकर जीता जिसने प्रीत का* रास्ता अपनायाप्रेम संदेशा पहुँचाये* वो जन – जन तक…

पाँच वर्ष का है त्यौहार

पाँच वर्ष का है त्यौहार लोकतंत्र का रखना मान।जाकर करना तुम मतदान।पाँच वर्ष का है त्यौहार।चुन लेना अपनी सरकार।मत आना लालच में आप।वोट बेंचना होता पाप।सुधरे भारत की हालात।संसद भेजो रखने बात।लालच में आकर ना खोय।मत अपनी जस बेटी होय।पहनो…

पिरामिड विधा पर रचना

हनुमत पिरामिड हेवायुतनयहनुमान दे वरदान रहें खुस हाल प्रभू  हर हाल में । हेदुखःहर्ता हेबजरंगीराम दुलारे भक्तन पुकारे हे कष्ट विनाशक। माँसीता को प्यारेले-मुदृकासमुद्र लांधे सिया सुधि लायेभक्तन हितकारी । श्रीराम छपतेलंका जला दानव   दलसंहार  करकेबाग उजारे प्रभू। लेवैद सुखेन…