दीपावली का ,आया त्यौहार,
झूमे नाचे ,सब नर नार।
माँ लक्ष्मी की ,अर्चना से,
भर जाते ,धन के भंडार।
खील बतासे ,बर्फी लड्डु,
भरते मन में ,उमंग मिठास।
कोना कोना ,निखरे ऐसे,
जैसे धवल ,चांदनी रात।
महल झोंपड़े चमक गए सब,
दीपक सजे लंबी कतार।
धरती पर ही लग गए है,
मानों सुन्दर ,स्वर्ग बाजार।
सफल तभी ,होगा त्यौहार,
ग़रीब का भी ,भर जाए थाल।
हर इक हाथ बढ़ जाए मदद का,
मिट जाए उनका अंधकार।
रजनी श्री बेदी
जयपुर
राजस्थान
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