प्रस्तुत कविता शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ सौराष्ट्र में ,ज्योतिर्लिंग विराज।
सावन पावन मास में, महिमा गाउँ आज।।१।।
श्रीशैल पर्वत करें , मल्लिक अर्जुन राज।
दर्शन अर्चन से सभी, बनते बिगड़े काज।।२।।
महाकाल उज्जैन में,महिमा बड़ी अपार।
भक्त सुसज्जित मिल करें,नित नूतन श्रृंगार।।३।।
ॐकार ईश्वर अमल ,अमलेश्वर है नाम।
शिव पूजन कर लीजिए, शंकर हैं सुखधाम।।४।।
वैद्यनाथ पाराल्य में , आशुतोष भगवान।
फूल बेलपाती चढ़ा, निशदिन करलें ध्यान।।५।।
दक्षिण में शिव लिंग जो, भीमाशंकर नाम।
सुबह शाम जपते रहें, शिव शंकर अविराम।।६।।
सेतुबंध रामेश्वरम , बैठे सागर तीर।
लंका विजय उपासना, स्थापित श्री रघुवीर।।७।।
दारुकवन सुंदर बसें , बाबा शिव नागेश।
गले नाग धारण किये, शशिधर सुंदर वेश।।८।।
विश्वेश्वर वाराणसी ,शिवजी का निज धाम।
बहती पावन जान्हवी , बाबा पूरनकाम ।।९।।
तट गौतमी विराजते, त्रयम्बकेश्वर रूप।
हरि हर ब्रम्हा संग हैं ,शोभित लिंग अनूप।।१०।।
हिम आलय पर्वत बसे , केदारेश्वर नाथ।
यात्रा कठिन चढ़ाव यह,चढ़ें भक्तजन साथ।।११।।
महाराष्ट्र घृशणेश जी , मंगल पुण्य प्रदेश।
द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं , पावन भारत देश ।।१२।।
—सुश्री गीता उपाध्याय”गोपी”
*रायगढ़ छत्तीसगढ़*
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