फूफा रिश्ता पर कविता

फूफा रिश्ता पर कविता

ऐ दे !फूफा मोर, उमर म बुड़वा गिस ने।
अऊ बिहाव म देखत हस, बउरा गिस ने।
चेहरा म नईये जी बहार ।
लागे जइसे पड़गिस ने दियार।
आगु-पाछु म बुलत हे दु-चार।
करत फिरत हावे फूफा संग मनुहार ।
थोरकिन हाँसी-ठिठोली म ओहर बमा गिस ने।
अऊ बिहाव म देखत हस, बउरा गिस ने।।
कनी-कनी बात म तमकत हे।
फूफी के गारी म चमकत हे।
का बात म फरक खाईस हे?
कोनहा म जाकें बमकत हे।
खिसियाय अऊ तंगाय, भांटो ल मोर कवाँ दिस ने।
अऊ बिहाव म देखत हस, बउरा गिस ने।।
( रचयिता :- मनी भाई भौंरादादर, बसना )

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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