गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।
गौरी के लाला गनराज
पहिली सुमरनी हे, हाथ जोड़ बिनती हे |
गौरी के लाला गनराज ला….
- विघन विनाशन नाम हे ओखर |
दुख हरना शुभ काम हे ओखर ||
मन मा बसाले गा, तन मा रमाले ना…
गौरी के लाला गनराज ला….. - लंबोदर हाबय जी गजानन |
भइया हाबय उँखर षडानन ||
फूल पान चढ़ा ले रे, लाड़ू के भोग लगाले ना….
गोरी के लाला गनराज ला…….. - मुसवा के ओ करथे सवारी |
पिता हाबय ओखर त्रिपुरारी ||
एकदंत कहिथे जी, दयावंत कहिथे ना…..
गौरी के लाला गनराज ला…..
पहिली सुमरनी हे….
हाथ जोड़ बिनती हे……
गौरी के लाला गनराज ला……
दिलीप टिकरिहा “छत्तीसगढ़िया”
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