हे दीन दयालु हे दीनानाथ- मनीभाई नवरत्न

kavita

हे दीन दयालु हे दीनानाथ
हे दीन दयालु, हे दीनानाथ !
दीन की रक्षा करलें मांगे वरदान।


हे कृपालु ,हे भोलेनाथ!


हे कृपालु , हे भोलेनाथ!
हीन की रक्षा कर ले मांगे वरदान ।


ऊंची चोटी पर तेरा वास है ।
हर तरफ शांति, उल्लास है।


छायी रहे ऐसे सदा, अमन से ये जहान।

मांगे वरदान। हे दीन दयालु….


बड़े भरोसे हैं तुझ पे प्रभु।

तू ही तन मन में तेरा ध्यान करूं।
तू ही विधि है तू ही विधान ।।

मांगे वरदान। हे दीन दयालु….


सेवक हैं तेरे, दें सेवा का मौका।
मन में उमंग , भर दें आशा का झोंका।


तेरे लिए तो प्रभु, ऊंच नीच सब समान।।

मांगे वरदान। हे दीन दयालु….

🖋मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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